CG News: कच्ची कौहा लकड़ी की टीपी के लिए एसडीएम या वन विभाग से कोई परमिशन नहीं लिया है। पत्रिका की खबर के बाद वन विभाग ने खाना पूर्ति करते हुए एक गाड़ी पर कार्रवाई की।
CG News: लकड़ी माफिया बेतहाशा प्रतिबंधित कौहा की कटाई कर रहे है। सौकड़ों हरे भरे पेड़ों की कटाई कर रोजाना 40 गाड़ी कौहा लकड़ी अलग-अलग आरामिलों में खपा रहे है। जबकि कच्ची कौहा लकड़ी की टीपी के लिए एसडीएम या वन विभाग से कोई परमिशन नहीं लिया है। पत्रिका की खबर के बाद वन विभाग ने खाना पूर्ति करते हुए एक गाड़ी पर कार्रवाई की। जबकि हर आरामिलों में दो से तीन गाड़ी कौहा की लकड़ी अटी पड़ी है।
वन विभाग की टीम ने रविवार को सुबह करीब 10 बजे औरी में कौहा से भरी कोचिया द्वारिका की गाड़ी को पकड़ा है। उसे वन विभाग के डिपो में खड़ी करा दिया। गौतलब है कि मैदानी क्षेत्रों में जैसे ही जमीन सूखती है, पर्यावरण के दुश्मन सक्रिय हो जाते हैं।
किसानों को पैसे का लालच देकर हरे-भरे पेड़ों बड़ी बेरहमी से काट रहे हैं। कौहा की लकड़ी का पट्टा और टुकड़ा बनाकर ओडिशा और गुजरात में सप्लाई करते हैं। बता दें दुर्ग जिले में वैध और अवैध मिलाकर करीब 70 ऑरामिल संचालित हैं। लकड़ी कोचिए बड़े-बड़े पेड़ों को चंद समय में काट कर धराशायी कर देते हैं। इस तरह रोज 40 गाड़ी कोंहा लकड़ी विभिन्न आरामिलों में खपा रहे हैं।
कौहा प्रतिबंधित लकड़ी है। सरकार इसकी नीलामी करती है। एसडीएम के आदेश पर इसकी टीपी बनती है या फिर वन विभाग जब कौहा की लकड़ी की नीलामी करता है। खरीदने वाले आरामिल संचालक को टीपी दी जाती है। कौहा के हरे पेड़ की कटाई के लिए कोई टीपी नहीं दी जाती। चौंकाने वाली बात यह है कि पर्यावरण संरक्षण की जिमेदारी जिनके कंधों पर है। उनका कहना है कि टीपी है तो कौहा की लकड़ी काट सकते हैं। यहां तक लकड़ी माफिया की जिमेदारों से इतनी सेटिंग है। पुरानी टीपी में कच्ची लकडिय़ों की सप्लाई कर दे रहे हैं। वन विभाग के अधिकारी आंख में पट्टी बांधकर कोई कार्रवाई नहीं कर पाते।
उतई के आरामिल संचालक विजय पांडेय की पांच आरामिल जामुल, उतई, गाड़ाडीह, छांटा और गमियारी में संचालित है। गाड़ाडीह में एक आरामिल विमलेश पांडेय, एक आरामिल विनय तिवारी, एक आरामिल अजय तिवारी, उतई एक आरामिल गोलू भाले, एक आरामिल सुभाष चौहान, अंडा एक आरामिल सतीश महराज, पाटन एक आरामिल विनय शर्मा, घुघुआ संतोष शुक्ला समेत अन्य आरामिलों में कौहा की लकड़ी सप्लाई की जा रही है। वन विभाग के अधिकारी इन आरामिलों में झांकने तक नहीं जाते।
कौहा की तस्करी के लिए लकड़ी माफिया हाइड्रोलिक मशीनें और बड़ी-बड़ी क्रेन रखे हैं। जिमेदारों को चकमा देकर पेड़ों का काटते हैं और मौके पर ही टुकड़ा कर गोला बना देते हैं। इसके बाद सुबह 5 से 7 बजे तक क्रेन से गाडिय़ों में लोड करते है। मौके से जैसा पुष्पा फिल्म में दिखाया है। उसी तरह रफूचक्कर हो जाते हैं।