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प्रसंगवश: शिक्षकों के नवाचार सम्मान तक सीमित न रहे, लाभ उठाया जाए

शिक्षा के क्षेत्र में कुछ अलग कुछ नया करने वाले शिक्षकों का होता है सम्मान

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शिक्षक दिवस पर 5 सितंबर को हर वर्ष गांव-शहर, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षकों का सम्मान किया जाता है। ये वह शिक्षक-शिक्षिका होते हैं, जिन्होंने लीक से हटकर शिक्षा के क्षेत्र में कुछ नया और कुछ अलग किया है, जिन्होंने अध्ययन-अध्यापन को सिर्फ जीविकोपार्जन यानी नौकरी नहीं समझा।

शिक्षक दिवस पर हम बात शिक्षकों और शिक्षा के स्तर को लेकर करें, तो छत्तीसगढ़ में शिक्षकों के 33 हजार से ज्यादा पद रिक्त हैं। हालांकि इसके बावजूद राज्य में शिक्षक और छात्रों का अनुपात राष्ट्रीय औसत से बेहतर है, ये सरकारी आंकड़ों के मुताबिक है। वहीं, राज्य सरकार ने पिछले दिनों विभागीय समीक्षा में ये पाया था कि शिक्षकों का वितरण असमान है। जैसे कि ग्रामीण क्षेत्रों में छात्रों की संख्या अधिक लेकिन शिक्षक अपेक्षाकृत कम, वहीं शहरी क्षेत्रों में शिक्षक अधिक संख्या में पदस्थ थे। इस असंतुलन को दूर करने के लिए युक्तियुक्तकरण किया गया। इसके बाद सरकार ने दावा किया कि छत्तीसगढ़ का कोई भी स्कूल शिक्षक विहीन नहीं है। यह बात तो सही है कि प्रदेश में कोई भी स्कूल शिक्षक विहीन नहीं है, साथ ही हकीकत यह भी है कि एक शिक्षक के भरोसे एकसाथ दो-दो तीन-तीन कक्षाएं भी लग रही हैं। पिछले दिनों मुख्यमंत्री जिनके पास शिक्षा विभाग भी था उस समय, उन्होंने कहा था कि युक्तियुक्तकरण के बाद भी शिक्षकों की आवश्यकता बनी हुई है, जिसे ध्यान में रखते हुए 5000 नए शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया शीघ्र आरंभ की जाएगी। सरकार को चाहिए कि प्रदेश में लंबे समय से रिक्त शिक्षकों के विभिन्न पदों पर जल्द से जल्द भर्ती करे।

साथ ही सरकार यह भी करे कि शिक्षकों ने शिक्षा के क्षेत्र में जो नवाचार किया है, जिनके लिए उनका सम्मान शिक्षक दिवस पर किया जाता है, उन नवाचारों का लाभ उनके स्तर के अनुरूप स्थानीय, जिला स्तर और प्रदेश स्तर पर लिया जाए। इससे विद्यार्थियों में शिक्षा के प्रति रुचि जागेगी, उन्हें पढ़ाई-लिखाई बोरिंग नहीं लगेगी। अन्य शिक्षक भी कुछ अच्छा करने के लिए प्रेरित होंगे। सबसे बड़ी बात यह कि इससे शिक्षा व्यवस्था में सुधार हो सकेगा। -अनुपम राजीव राजवैद्य anupam.rajiv@epatrika.com

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