पटना

पप्पू यादव से लेकर सम्राट चौधरी को धमकी के बाद बढ़ी सिक्योरिटी, डिप्टी सीएम को Z+ श्रेणी

राज्य में पहले भी चुनाव से पहले कई नेताओं को धमकी मिल चुकी है, जिसके बाद सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड में आ जाती हैं।

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Aug 11, 2025
सम्राट चौधरी के साथ दूसरे नेताओं की सिक्योरिटी बढ़ा दी गई है। (फोटो सोर्स : IANS)

बिहार में विधानसभा चुनावों से पहले राज्य सरकार ने 6 प्रमुख राजनीतिक हस्तियों की सुरक्षा को अपग्रेड किया है। इनमें डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी शामिल हैं। सम्राट चौधरी को अब Z+ श्रेणी की सुरक्षा के साथ एडवांस सिक्योरिटी लायजन (ASL) कवर मिलेगा। ASL प्रोटोकॉल के तहत केंद्रीय सुरक्षा बलों को स्थानीय एजेंसियों का सहयोग मिलता है और सुरक्षा इंतजाम में 24 घंटे निगरानी, बुलेटप्रूफ वाहन, सुरक्षित आवास, सीसीटीवी मॉनिटरिंग, सेंसर और विशेष प्रशिक्षण प्राप्त सुरक्षाकर्मियों की तैनाती शामिल होती है।

सम्राट चौधरी को मिली थी धमकी

यह फैसला 26 जुलाई को मिली एक धमकी के बाद लिया गया। उस दिन एक अज्ञात व्यक्ति ने सम्राट चौधरी के एक सहयोगी को व्हाट्सऐप संदेश भेजा, जिसमें लिखा था- हेलो सर, मैं सम्राट चौधरी को 24 घंटे के भीतर गोली मार दूंगा, मैं सच बोल रहा हूं। हालांकि, चौधरी ने इस धमकी को नजरअंदाज करते हुए कहा-जिसे धमकी देनी है दे, मैं डरने वाला नहीं हूं। इसी तरह, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की सुरक्षा को भी अपग्रेड कर Y+ से Z श्रेणी में कर दिया गया है।

पप्पू यादव के साथ और नेताओं को भी मिली सुरक्षा

पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव को Y+ सुरक्षा प्रदान की गई है। उनको लेकर बार-बार खतरे की आशंका जताई गई है, खासकर लॉरेंस बिश्नोई गैंग और स्थानीय आपराधिक गिरोहों से। पप्पू यादव ने पहले केंद्र सरकार से अपनी सुरक्षा बढ़ाने की मांग की थी। इसके अलावा जेडीयू एमएलसी नीरज कुमार, बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू और सांसद प्रदीप कुमार सिंह की सुरक्षा बढ़ाई गई है। इन सभी नेताओं को अलग-अलग स्तर की अतिरिक्त सुरक्षा उपलब्ध कराई जाएगी।

पहले भी कई नेताओं को मिली धमकी

राज्य में पहले भी चुनाव से पहले कई नेताओं को धमकी मिल चुकी है, जिसके बाद सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड में आ जाती हैं। इस बार सुरक्षा बढ़ोतरी में तकनीकी साधनों का भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि किसी भी संभावित हमले को पहले ही विफल किया जा सके। सरकार का कहना है कि यह कदम नेताओं की सुरक्षा के साथ-साथ कानून-व्यवस्था की स्थिति को मजबूत करने के लिए उठाया गया है।

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