Alaska Summit Impact :15 अगस्त 2025 को अलास्का में ट्रंप और पुतिन की बैठक ने भारत, रूस और यूक्रेन के संबंधों को नया मोड़ दिया है। सम्मेलन का असर वैश्विक राजनीति और कूटनीति पर गहरा असर होगा।
Alaska Summit Impact: 15 अगस्त 2025 को अमेरिका के अलास्का स्थित जॉइंट बेस एल्मेंडॉर्फ–रिचर्डसन (Joint Base Elmendorf–Richardson) में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ( Donald Trump) और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ( Putin) के बीच एक बड़ी बैठक हुई। यह मीटिंग (Trump Putin Meeting)ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद दोनों नेताओं की पहली आमने-सामने बातचीत थी। बैठक को शांति की पहल के तौर पर देखा जा रहा है, लेकिन इसके साइड इफेक्ट्स (Alaska Summit Impact) भी कई देशों पर पड़ सकते हैं – खासकर भारत, यूक्रेन और यूरोप पर बुरा असर हो सकता है। ध्यान रहे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Modi) और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की (Zelensky) के बीच हाल ही में फोन पर बातचीत हुई थी, जिसमें दोनों नेताओं ने रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia–Ukraine War)को लेकर शांति की संभावनाओं पर चर्चा की। ज़ेलेंस्की ने भारत से अनुरोध किया कि वह रूस से तेल खरीद जैसे कदमों पर पुनर्विचार करे (India Russia Relations), क्योंकि इससे युद्ध को आर्थिक मदद मिलती है। वहीं, मोदी ने दोहराया कि भारत (India)हमेशा से बातचीत और कूटनीति के जरिए समाधान (Ukraine War Peace Talks) का समर्थक रहा है। दोनों नेताओं ने सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) के दौरान आमने-सामने मुलाकात करने की सहमति भी जताई थी।
इस शिखर वार्ता में यूक्रेन को आमंत्रित नहीं किया गया। जबकि बातचीत का केंद्र यूक्रेन-रूस युद्ध पर रहा, लेकिन ज़ेलेंस्की को न्योता न देने से यूरोपीय देशों और यूक्रेन में असंतोष देखा गया। इससे यूक्रेन को अपनी सुरक्षा और भविष्य की भूमिका को लेकर असमंजस है।
ट्रंप ने पहले कहा था कि वे रूस-यूक्रेन युद्ध को 24 घंटे में खत्म कर देंगे। अब वे पुतिन से सीधे बातचीत कर शांति समझौते की बात कर रहे हैं। इससे रूस को प्रतिबंधों में छूट मिलने की उम्मीद है, जबकि यूक्रेन के लिए यह रणनीतिक झटका हो सकता है।
भारत की रूस से सस्ती दरों पर तेल खरीद और सैन्य सामानों की डील से ट्रंप नाराज हैं। उन्होंने भारत से कुछ आयातित उत्पादों पर 50% तक टैरिफ लगा दिया है। इससे अमेरिका-भारत ट्रेड रिलेशन में खटास आ गई है। खासकर टेक्सटाइल, रत्न और कृषि एक्सपोर्ट पर असर पड़ा है।
भारत और रूस दशकों से करीबी रक्षा और ऊर्जा सहयोगी रहे हैं। भारत के लिए रूस से सस्ता तेल खरीदना आर्थिक तौर पर फायदेमंद रहा है। लेकिन इससे अमेरिका नाराज है और इसे 'गैर-नैतिक' कहा गया है।
भारत की रूसी तेल पर निर्भरता से अमेरिकी और यूरोपीय देशों की नाराजगी बनी हुई है। हालांकि भारत ने तर्क दिया है कि उसकी प्राथमिकता राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा है। अलास्का बैठक के बाद तेल बाजार में भारी उतार-चढ़ाव की आशंका जताई जा रही है।
भारत ने यूक्रेन को मानवीय सहायता दी है लेकिन रूस से करीबी के कारण यूक्रेन में भारत की मंशा पर संदेह बना हुआ है। अलास्का बैठक में भारत की स्थिति और जटिल हो गई है।
भारत को अब अमेरिका, रूस और यूक्रेन के बीच संतुलन साधना होगा। एक तरफ सामरिक साझेदार अमेरिका है, दूसरी तरफ भरोसेमंद सहयोगी रूस। ऐसे में ट्रंप की नीतियों के बीच भारत को अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को बनाए रखने की बड़ी चुनौती है।
ट्रंप का रुख अगले महीनों में और स्पष्ट होगा। अगर अमेरिका-रूस के बीच कोई नया परमाणु समझौता होता है, तो दुनिया की भू-राजनीति का नक्शा बदल सकता है। भारत को भी अपनी भूमिका का नए सिरे से मूल्यांकन करना होगा।
ट्रंप-पुतिन की अलास्का मीटिंग एक कूटनीतिक मील का पत्थर बन सकती है। लेकिन इसने यूक्रेन और भारत जैसे देशों के लिए अनिश्चितता की स्थिति पैदा कर दी है। अमेरिका-भारत रिश्तों में तनाव बढ़ा है, वहीं रूस को पश्चिमी प्रतिबंधों से राहत मिलने की संभावना दिखी है।