अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ फंड से छूट देने की बात फिर से उठाई है। उन्होंने सोशल मीडिया पर बताया कि इससे अमेरिकियों को व्यक्तिगत लाभांश मिलेगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे देशों पर लगाए गए टैरिफ की दुनियाभर में चर्चा है। ट्रंप ने इस साल लगभग हर देश के सामानों पर टैरिफ लगाया है, जिससे अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए दशकों में सबसे ज़्यादा टैरिफ दर लागू हो गई है। टैरिफ ऐसे शुल्क होते हैं जो अमेरिकी कंपनियाँ विदेशी सामान आयात करने के लिए चुकाती हैं और अक्सर उपभोक्ताओं पर डाल दिए जाते हैं। इस टैरिफ से काफी फंड जमा हो गया है।
ट्रंप ने इस साल कई बार सुझाव दिया है कि टैरिफ के परिणामस्वरूप अमेरिकियों को सीधे भुगतान मिल सकता है। ट्रंप ने हाल ही में सोशल मीडिया पर लिखा था, "जो लोग टैरिफ के खिलाफ हैं वो मूर्ख हैं। टैरिफ से जमा हुए फंड से सभी को कम से कम 2,000 डॉलर प्रति व्यक्ति (उच्च आय वाले लोगों को छोड़कर) का लाभांश दिया जाएगा।"
ट्रंप की इस योजना में कई रुकावटें भी हैं। इन रुकावटों में यह भी शामिल है कि इसके लिए पर्याप्त धन उपलब्ध नहीं हो सकता है। कम से कम अभी तो नहीं।
टैक्स फाऊंडेशन, जो एक दक्षिणपंथी थिंक टैंक है और टैरिफ का विरोध करता है, के अनुसार, अमेरिका ने इस साल सितंबर तक नए और मौजूदा शुल्कों से लगभग 174 बिलियन डॉलर्स का टैरिफ फंड एकत्र किया है। फ़ाउंडेशन की संघीय कर नीति की उपाध्यक्ष एरिका यॉर्क ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि ट्रंप की छूट योजना की लागत लगभग 300 बिलियन डॉलर्स हो सकती है। एरिका ने यह भी लिखा, "एकमात्र समस्या यह है कि नए टैरिफ से अब तक 120 बिलियन डॉलर्स की राशि जुटाई गई है और सरकार के पास लाभांश योजना के लिए पर्याप्त धन नहीं होगा।"
ट्रंप ने टैरिफ फंड का उपयोग करने के लिए कई विचार प्रस्तुत किए हैं। देश का कर्ज़ चुकाना, किसानों को राहत देना और अमेरिकियों को छूट देना। लेकिन ऐसा करने के लिए उन्हें कांग्रेस से धन प्राप्त करना होगा। - यह ऐसा काम नहीं है जो अमेरिकी राष्ट्रपति सिर्फ अपनी इच्छा से कर सके। आयातक व्यवसायों द्वारा यह धनराशि प्रवेश द्वारों पर सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा विभाग को भुगतान की जाती है और फिर अमेरिकी राजकोष के सामान्य कोष में भेज दी जाती है। कांग्रेस यह तय करती है कि इस धनराशि का उपयोग कैसे किया जाए।
वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने हाल ही में एक कार्यक्रम में कहा कि उन्होंने 2,000 डॉलर की छूट योजना के बारे में ट्रंप से बात नहीं की है। उन्होंने यह संकेत दिया कि यह छूट प्रत्यक्ष भुगतान नहीं होगी और कहा कि यह कई रूपों में, कई तरीकों से हो सकती है। उन्होंने इस साल की शुरुआत में पारित टैक्स विधेयक के प्रावधानों की ओर इशारा करते हुए कहा, "यह केवल टैक्स में कटौती हो सकती है, जिसे हम राष्ट्रपति के एजेंडे में देख रहे हैं। इसमें कुछ सीमाओं के साथ टिप और ओवरटाइम काम पर कर कटौती शामिल थी।
इस साल ट्रंप द्वारा लगाए गए ज़्यादातर टैरिफ को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा रही है। छोटे व्यवसायों के एक समूह का तर्क है कि राष्ट्रपति के पास कांग्रेस को दरकिनार करके टैरिफ़ लगाने के लिए आपातकालीन कानून का इस्तेमाल करने का अधिकार नहीं है। अदालत ने पिछले हफ्ते इस मामले में मौखिक दलीलें सुनीं और जल्द ही फैसला सुनाए जाने की उम्मीद है। अगर चुनौती देने वाले पक्ष सफल होते हैं, तो ट्रंप के देश-विशिष्ट टैरिफ पर तुरंत रोक लग सकती है। एल्युमीनियम, स्टील और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रीय टैरिफ़ एक अलग कानून के तहत लगाए गए थे और इस मामले से उन्हें कोई खतरा नहीं है।
(वॉशिंगटन पोस्ट का यह आलेख पत्रिका.कॉम पर दोनों समूहों के बीच विशेष अनुबंध के तहत पोस्ट किया गया है।)