Gaza famine crisis: गाजा में इज़राइल की नीतियों के चलते पाँच लाख लोग भूख से जूझ रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों ने इसे पूरी तरह मानव निर्मित अकाल बताया है।
Gaza famine crisis: गाजा पट्टी में लाखों लोग आज जिस हालात में जी रहे हैं, वह केवल एक आपदा (Gaza famine crisis) नहीं है, यह मानव निर्मित त्रासदी है। संयुक्त राष्ट्र समर्थित संस्था IPC (Integrated Food Security Phase Classification) ने हाल ही में गाजा सिटी में "अकाल" की आधिकारिक घोषणा की है। यह पहली बार है कि किसी मध्य-पूर्वी क्षेत्र में मानव निर्मित अकाल की पुष्टि हुई है। गाजा (Gaza) की सीमाओं (Israel Gaza conflict)पर सैकड़ों ट्रक सहायता सामग्री के साथ खड़े हुए हैं, लेकिन उन्हें अंदर नहीं जाने दिया जा रहा है। इज़राइल (Israel) पर आरोप है कि वह सुनियोजित तरीके से सहायता रोक रहा है, जिससे आम लोग भूख से तड़प रहे (Humanitarian crisis Gaza) हैं। इस बीच इज़राइल का कहना है कि वह सहायता को रोके नहीं बैठा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां खुद मदद ठीक से बाँट नहीं पा रही हैं।
गाजा की रहने वाली एक माँ कहती है: "मेरे सबसे छोटे बच्चे को अब तक यह भी नहीं पता कि फल का स्वाद कैसा होता है।" यह सिर्फ एक माँ की बात नहीं है, बल्कि लाखों परिवारों की हकीकत है। IPC की रिपोर्ट बताती है कि करीब 5 में से 1 परिवार को खाना मिलना लगभग बंद हो गया है।
5 लाख लोग अकाल की स्थिति में हैं।
हर दिन 10,000 लोगों में से कम से कम 2 की भूख या बीमारी से मौत हो रही है। ये आंकड़े यह बताने के लिए काफी हैं कि गाजा में हालात किस कदर बिगड़ चुके हैं। IPC ने माना है कि भले ही मौतों के सारे आँकड़े दर्ज नहीं हो पा रहे हैं, फिर भी मृत्यु दर अकाल की सीमा पार कर चुकी है।
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि हमास और सहायता एजेंसियाँ हालात के लिए जिम्मेदार हैं। उनका दावा है कि हजारों ट्रक सीमा पार कर चुके हैं और बाजार में खाद्य सामग्री मौजूद है।
IPC और WHO जैसे संगठनों का कहना है कि वास्तविक जरूरतमंदों तक मदद नहीं पहुँच रही है और यह परिस्थिति नियंत्रण की नीति के तहत पैदा की गई है, न कि प्राकृतिक आपदा के कारण पैदा हुई है।
बहरहाल गाजा में जारी संकट यह सवाल पैदा करता है कि क्या अब भूख भी एक युद्ध हथियार बन चुकी है? जब सीमाओं पर गाड़ियों में भोजन खड़ा हुआ है और भीतर बच्चे भूखे मर रहे हैं, तो यह सिर्फ भूख नहीं, मानवता की हार है।