अनंत सिंह और सूरजभान की सियासी लड़ाई का नया अध्याय लिखा जा रहा है। सूरजभान की पत्नी वीणा देवी को राजद ने मोकामा से अपना उम्मीदवार बनाया है। पढ़ें पूरी खबर...
Bihar Assembly Elections: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की डुगडुगी बज चुकी है। मोकामा विधानसभा सीट एक बार फिर हॉट सीट बन गई है। यहां 25 साल पुरानी दो बाहुबलियों की लड़ाई का नया अध्याय भी लिखा जा रहा है। जदयू से टिकट मिलने के बाद अनंत सिंह चुनावी ताल ठोक रहे हैं। दूसरी तरफ, पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस की पार्टी रालोजपा छोड़कर राजद में शामिल हुए बाहुबली नेता सूरजभान सिंह ने अपनी पत्नी वीणा देवी को टिकट दिलाया है।
मोकामा की राजनीति हमेशा से बाहुबलियों का अड्डा रही है। अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप कुमार सिंह ऊर्फ बड़े सरकार ने साल 1990 और 1995 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की। यहां दो बाहुबलियों के बीच दुश्मनी की शुरुआत 2000 के विधानसभा चुनाव से हुई, जब सूरजभान सिंह जेल की सलाखों के पीछे से भी अनंत सिंह के बड़े भाई और राजद सरकार में तत्कालीन मंत्री दिलीप सिंह को भारी मतों से हरा दिया था। सूरजभान बाद में मुंगेर की सीट से सांसद भी बने, लेकिन बृज बिहारी प्रसाद हत्याकांड में उन्हें उम्रकैद की सजा हो गई, जिसके बाद वे चुनावी राजनीति से बाहर हो गए और अपने परिवार को आगे कर दिया। वह खुद बैकडोर पॉलिटिक्स करने लगे।
उन्होंने अपनी पत्नी वीणा देवी को सांसद बनाया। वीणा देवी ने लोकसभा चुनाव में जदयू के कद्दावर नेता ललन सिंह को पटखनी दी थी। उधर, सूरजभान के मोकामा छोड़ने के बाद साल 2005 से अनंत सिंह लगातार विधायक चुने गए। पहले तीन बार जेडीयू से, फिर निर्दलीय और 2020 में आरजेडी से विधायक बने। एक मामले में कोर्ट से दोषी पाए जाने पर उन्होंने पद से इस्तीफा दिया। इसके बाद 2022 में उपचुनाव के राजद ने उनकी पत्नी नीलम देवी को टिकट दिया। नीलम ने उपचुनाव में जीत दर्ज की, लेकिन जब नीतीश कुमार ने पाला बदला तो विश्वास मत परीक्षण के दौरान राजद की नीलम देवी ने नीतीश को समर्थन दे दिया था। अब एक बार फिर अनंत सिंह जदयू की टिकट पर 2025 में चुनावी ताल ठोक रहे हैं।
मोकामा विधानसभा सीट पटना जिले में आती है, लेकिन मुंगेर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। यहां भूमिहार समुदाय का वर्चस्व है, और दोनों उम्मीदवार इसी जाति से हैं। अनंत सिंह का स्थानीय जनाधार मजबूत है। वहीं, वीणा देवी को सूरजभान का राजनीतिक नेटवर्क (बलिया, मुंगेर, नवादा तक फैला) और आरजेडी का पारंपरिक वोट बैंक (यादव, मुस्लिम) मिलने की संभावना है। कहा जा रहा है कि सूरजभान की एंट्री से महागठबंधन को भूमिहार वोटों में सेंध लगाने का मौका मिला है। इसका फायदा मोकामा सहित कई अन्य सीटों पर भी देखने को मिल सकता है।
मोकामा, जो एक वक्त औद्योगिक हब हुआ करता था। भारत बैंगन फैक्ट्री, सूत मिल, बाटा और मैकडॉवेल जैसी यूनिट अब खंडहर में बदल चुकी हैं। बेरोजगारी, पलायन और टाल की जलभराव समस्या अब भी मुख्य मुद्दे बने हुए हैं। किसानों का कहना है कि नेता टाल के नाम पर वोट मांगते हैं, पर टाल में अब भी पानी भरा रहता है। स्थानीय जनता का मानना है कि यहां चुनाव मुद्दों पर नहीं बल्कि बाहुबल और रसूख के बल पर जीता जाता है।