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बुनकर समिति बनी 40 से अधिक परिवारों की रीढ़! चरखे की खटपट में आत्मनिर्भरता की कहानी, महिलाएं मांग रही बोनस

CG News: कोंडागांव जिले के फरसगांव ब्लॉक के ग्राम बोरगांव की दंडकारण्य बुनकर सहकारी समिति आज भी महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता की मिसाल बनी हुई है।

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बुनकर समिति बनी 40 से अधिक परिवारों की रीढ़(photo-patrika)

CG News: छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले के फरसगांव ब्लॉक के ग्राम बोरगांव की दंडकारण्य बुनकर सहकारी समिति आज भी महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता की मिसाल बनी हुई है। वर्ष 1959 में दंडकारण्य प्रोजेक्ट के तहत शुरू होकर 1980 में पंजीकृत हुई यह समिति वर्तमान में 40 से अधिक महिला बुनकरों को आजीविका प्रदान कर रही है।

समिति की अध्यक्ष मिनती देवनाथ के अनुसार, कभी यह संस्था साड़ी, बेडशीट और थान कपड़ा उत्पादन के लिए जानी जाती थी, परंतु अब इसका काम मेडिकल बैंडेज बुनाई तक सीमित है। बैंडेज की आपूर्ति रायपुर सहित विभिन्न शहरों के अस्पतालों में की जाती है।

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CG News: दंडकारण्य की विरासत

महिला बुनकरों की मासिक आय 5,000 रुपए से 10,000 रुपए तक है। उन्हें छत्तीसगढ़ विपणन संघ से धागा आपूर्ति, छात्र सम्मान राशि, दिव्यांग सहायता, तथा प्रोत्साहन मजदूरी जैसी सुविधाएँ प्राप्त हो रही हैं। फिर भी बुनकरों की मुख्य मांग त्योहारों पर बोनस या लाभांश की है। उनका कहना है कि इससे उनका उत्साह बढ़ेगा और उत्पादन में और सुधार होगा।

समिति की सचिव अनिता दास ने बताया कि संस्था ‘नो प्रॉफिट नो लॉस’ के सिद्धांत पर कार्य करती है, जिससे निवेश और लाभांश वितरण की संभावना सीमित हो जाती है। उन्होंने सुझाव दिया कि विपणन संघ बैंडेज के खरीद मूल्य में 10 रुपए लाभ मार्जिन जोड़ें, पारंपरिक उत्पादों को पुनर्जीवित करने के लिए तकनीकी सहायता दें, और एक ‘बुनकर लाभांश फंड’ की स्थापना की जाए। बोरगांव की ये महिलाएं सिर्फ बैंडेज नहीं, बल्कि अपने परिवारों का भविष्य बुन रही हैं, और सरकारी नीति में छोटे बदलाव से उनकी ज़दिंगी में बड़ा परिवर्तन आ सकता है।

Updated on:
13 Nov 2025 03:31 pm
Published on:
13 Nov 2025 03:29 pm
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