-भाजपा उठते सवालों का जवाब देने में जुटी, प्रेस कांफ्रेंस से लेकर सोशल मीडिया का सहारा -मनरेगा के मुद्दे पर शिवराज सिंह चौहान तो अरावली पर भूपेंद्र यादव प्रेस कांफ्रेंस से रख चुके सरकार का पक्ष
नई दिल्ली। मनरेगा का नाम बदलने और अरावली पहाड़ियों की नई परिभाषा को विपक्ष ने मुद्दा बनाया तो अब भाजपा पलटवार करने में जुटी है। भाजपा ने नेताओं को प्रेस कांफ्रेंस से लेकर सोशल मीडिया पर भी विपक्ष के दावों को सही तथ्य से काउंटर करने के निर्देश दिए हैं। इसी कड़ी में मनरेगा के मुद्दे पर जहां केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान वहीं अरावली पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव सरकार का पक्ष रख चुके हैं। इसके अलावा राज्यों में भी नेताओं से इस मुद्दे पर जनता के बीच जाकर परसेप्शन दुरुस्त करने को कहा गया है।
सबसे ज्यादा सवाल उठ रहा है कि मनरेगा में रोजगार गारंटी कमजोर हुई है। इस पर भाजपा जवाब देने मे जुटी है कि नए सुधारों से अब 100 की जगह 125 दिन की मजदूरी वाले रोजगार की गारंटी मिलेगी। वहीं इससे परिसंपत्ति निर्माण को भी बढ़ावा मिलेगा।
भाजपा यह साबित करने में जुटी है कि विकसित भारत रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) (वीबी-जी राम जी) कानून सामाजिक सुरक्षा को हटाने के बारे में नहीं है, बल्कि उन्हें आधुनिक बनाने के बारे में है। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान नाम बदलने का आरोपों का यह कहकर बचाव कर चुके हैं कि यूपीए की सरकार में जवाहर रोजगार योजना का नाम बदला था। चुनाव के कारण गांधी जी का नाम जोड़ा गया। नाम बदलने से क्या जवाहर लाल का सम्मान कम हो गया? मनरेगा का नया नामकरण गांधी जी की सोच को दर्शाता है।
नई परिभाषा से अरावली पहाड़ियों के अस्तित्व पर विपक्ष से लेकर जनता की आशंकाओं को भाजपा ने खारिज करने की कोशिश की है। इसके लिए जहां केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने प्रेस कांफ्रेंस से पक्ष रखा है वहीं भाजपा ने सोशल मीडिया से भी अरावली से जुड़े नेरैटिव के काउंटर पर फोकस किया है। बताया जा रहा है कि अरावली के कुल 1.44 लाख वर्ग किमी क्षेत्र में मात्र 0.19 प्रतिशत हिस्से में ही खनन हो सकता है।
जहां तक अरावली पहाड़ियों को 100 मीटर या उससे ज्यादा ऊंची भू-आकृतियों के रूप में परिभाषित करने का सवाल है। इसमें यह भी तथ्य है कि 500 मीटर के दायरे में पहाड़ियों को अरावली पर्वतमाला में बांटा गया है, इसलिए बीच की घाटियां, ढलानें और छोटी पहाड़ियां भी सुरक्षित रहेंगी। संरक्षित क्षेत्रों, पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्रों, टाइगर रिज़र्व, वेटलैंड्स और सीएएमपीए प्लांटेशन साइट्स में खनन पूरी तरह से प्रतिबंधित है। ड्रोन, सीसीटीवी, वेइंगब्रिज और जिला टास्क फोर्स की निगरानी से अवैध खनन रोका जा रहा है।