CG Election: इस बार निकाय चुनाव में प्रदेश और शहर के हिसाब से अलग-अलग घोषणा पत्र तैयार किए जा रहे हैं। बनाने के साथ कांग्रेस धान खरीदी को भी बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी में है।
CG Election: प्रदेश में दिसंबर-जनवरी में नगरीय निकाय और त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव होने हैं। कांग्रेस ने इसकी प्रारंभिक तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि भाजपा की तुलना में कांग्रेस की तैयारी थोड़ी पिछड़ी हुई नजर आ रही है। इस बार कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती निकाय चुनाव में अपना कब्जा बरकरार रखना है।
यही वजह है कि कांग्रेस कई रणनीति पर काम करने की तैयारी कर रही है। बताया जाता है कि निकाय चुनाव में कांग्रेस प्रदेश स्तरीय मुद्दों के साथ स्थानीय मुद्दों को लेकर भी चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस के रणनीतिकारों का कहना है कि पार्टी पूरी ताकत के साथ निकाय चुनाव लड़ेगी। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का दावा है कि प्रदेश की जनता सरकार के कामकाज से संतुष्ट नहीं है।
इसका फायदा कांग्रेस को मिलेगा। यही वजह है कि निकाय चुनाव में जनता के बीच जाने के लिए कांग्रेस ने मुद्दों को खंगालना शुरू कर दिया है, ताकि ज्यादा-ज्यादा से मतदान उनके पक्ष में हो सकें। कांग्रेस इसके आधार पर घोषणा पत्र बनाने पर विचार कर रही है्, ताकि स्थानीय प्राथमिकताओं को भी महत्व मिल सकें।
प्रदेश में धान खरीदी का मुद्दा हमेशा से राजनीति के केंद्र बिंदु में रहा है। यही वजह है कि इस बार कांग्रेस नगरीय निकाय और त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में धान खरीदी को बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी है। कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि वर्तमान में धान खरीदी चल रही है।
इसमें बहुत सारी परेशानियां आ रही हैं। वहीं, बड़ी आबादी इसे जुड़ी हुई है। (Chhattisgarh News) यही वजह है कि कांग्रेस ने धान खरीदी केंद्र चलो अभियान भी शुरू कर रखा है। इसके अलावा निकाय चुनाव में बढ़ते अपराध को लेकर भी कांग्रेस सरकार को घेरने का काम करेगी।
विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस को मिली हार के बाद कार्यकर्ताओं में निराशा है। कार्यकर्ता इस बात से दुखी है कि अभी तक हार के कारणों को लेकर कोई समीक्षा बैठक भी नहीं हो सकी है। यही वजह है कि कांग्रेस में बदलाव की चर्चा भी तेज हो गई है।
CG Election: प्रदेश में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भारी बहुमत से विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। इस जीत के बाद कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में उत्साह था और इसका सीधा असर नगरीय निकाय चुनाव में भी दिखाई दिया। प्रदेश के सभी 14 नगर निगम में कांग्रेस के पार्षद महापौर बने। हालांकि उस दौरान तत्कालीन सरकार ने महापौर चुनने का अधिकार जनता से लेकर पार्षदों को दे दिया था।