CG Hospital: अस्पताल प्रबंधन ने यह प्रस्ताव शासन के पास भेजा है। न्यूरो सर्जरी व न्यूरोलॉजी विभाग में न केवल सभी 10 मेडिकल कॉलेजों वरन सभी जिला अस्पतालों व पड़ोसी राज्यों के मरीज भर्ती होते हैं।
CG Hospital: डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में न्यूरो के मरीजों के लिए 5 मंजिला नई बिल्डिंग बनाने का प्रस्ताव है। इसमें 300 बेड होंगे। बिल्डिंग के निर्माण में 10 से 12 करोड़ रुपए खर्च होने की संभावना है। दरअसल सडक़ दुर्घटना, ब्रेन हेमरेज, ब्रेन स्ट्रोक व पैरालिसिस के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। इससे 190 बेड भी कम पड़ रहे हैं।
बेड की कमी को दूर करने के लिए अस्पताल प्रबंधन ने न्यूरो सर्जरी व न्यूरोलॉजी विभाग का विस्तार करने की योजना बनाई है। यह बिल्डिंग गार्डन एरिया में बनाए जाने की संभावना है। नई बिल्डिंग बनाकर न्यूरोलॉजी व न्यूरो सर्जरी विभाग को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की तरह बनाया जाएगा। दोनों विभाग में सडक़ दुर्घटना में गंभीर सिर में चोट, अचानक ब्रेन हेमरेज व ब्रेन स्ट्रोक व ब्रेन से जुड़ी बीमारी वाले मरीजों को रखा जाएगा।
अस्पताल प्रबंधन ने यह प्रस्ताव शासन के पास भेजा है। न्यूरो सर्जरी व न्यूरोलॉजी विभाग में न केवल सभी 10 मेडिकल कॉलेजों वरन सभी जिला अस्पतालों व पड़ोसी राज्यों के मरीज भर्ती होते हैं। कई बार निजी अस्पतालों से गंभीर मरीज शिफ्ट किए जाते हैं। इससे 190 बेड हमेशा फुल रहते हैं। कई बार आंबेडकर अस्पताल से भेजे जाने वाले मरीजों को बेड खाली नहीें होने का हवाला देकर भर्ती करने से मना कर दिया जाता है। जब बेड खाली होता है, तब मरीज को भेजा जाता है।
CG Hospital: नई बिल्डिंग बनने से ये समस्या दूर हो जाएगी। दरअसल राजधानी के अलावा आसपास व पूरे प्रदेश में सडक़ दुर्घटना में रोजाना सैकड़ों लोग गंभीर होते हैं। कई मामलों में हेड इंजुरी के केस कॉमन हैं। सिर पर चोट या ब्रेन की बीमारी संबंधी मरीजों का इलाज दोनों विभागों में होता है। इसलिए दोनों विभागों के विस्तार की बात की जा रही है।
डीकेएस में न्यूरो सर्जरी व न्यूरोलॉजी विभाग से जुड़ी बीमारियों के मरीजों को सीधे भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। पहले आंबेडकर स्थित ट्रामा सेंटर में पहले मरीजों को रखकर इलाज करते थे। अब अगर बीमारी कंफर्म है तो मरीजों को सीधे डीकेएस ले जाकर भर्ती कर सकते हैं। केजुअल्टी मेडिकल अफसरों की नियुक्ति भी की गई है। ताकि इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को भर्ती कर तत्काल इलाज किया जा सके। पहले मरीजों को सीधे डीकेएस अस्पताल नहीं ला सकते थे। नई सुविधा से मरीजों की जान बचाने में मदद मिलने लगी है।
बेड फुल होने पर सिर में गंभीर चोट वाले मरीजों को अगर वेंटीलेटर की जरूरत है, तो दिक्कत और बढ़ जाती है। वेंटीलेटर फुल होने के कारण मरीजों को आंबेडकर अस्पताल से डीकेएस नहीं भेज पाते। ऐसे मरीज आंबेडकर अस्पताल के ट्रामा सेंटर में रहते हैं। सिर में चोट वाले मरीज इमरजेंसी में आते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार 4 से 6 घंटे के भीतर इनका इलाज शुरू होने से मरीज की जान बचाने में मदद मिलती है।
चूंकि ब्रेन शरीर का ट्रांसफार्मर होता है। इससे पूरा शरीर कंट्रोल होता है। ब्रेन में जरा सी समस्या आने पर मरीज की हालत खराब हो जाती है। इसलिए तत्काल इलाज की जरूरत पड़ती है। वीकेेंड में लोगों के बाहर आने-जाने के कारण सामान्यत: शनिवार व रविवार की रात सडक़ दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल मरीज ज्यादा आते हैं। डॉक्टरों के अनुसार दोनों दिनों में औसतन 10 या इससे ज्यादा मरीज भर्ती होते हैं। इसमें सिर में चोट वाले केस भी होते हैं।
डॉ. हेमंत शर्मा, उप अधीक्षक डीकेएस अस्पताल: न्यूरोलॉजी व न्यूरो सर्जरी विभाग को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की तरह बनाने की योजना है। 5 मंजिला बिङ्क्षल्डग बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है। इससे इमरजेंसी व रूटीन में आने वाले ब्रेन के मरीजों को बड़ी राहत मिलने की संभावना है।
डॉ. राजीव साहू, एचओडी न्यूरो सर्जरी, डीकेएस : इमरजेंसी व रूटीन में आने वाले इतने ज्यादा मरीज होते हैं कि 190 बेड का विभाग कम पड़ रहा है। विभाग के विस्तार की जरूरत पहले से ही है।