रायपुर

CG News: बीएससी नर्सिंग की 4427 सीटें खाली, अब जीरो परसेंटाइल से होगा प्रवेश!

CG News: मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र में जीरो परसेंटाइल से एडमिशन देने का आदेश जारी हो चुका है। सीट भर सके इसलिए सभी सीटों को कॉलेजों को सौंपा गया है...

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Nov 23, 2025
representative picture (patrika)

CG News: प्रदेश के निजी कॉलेजों में बीएससी नर्सिंग की 7751 में 4427 सीटें खाली हैं। ये कुल सीटों की 57.11 फीसदी है। इससे सवाल उठ रहा है कि क्या इन सीटों को भरने के लिए जीरो परसेंटाइल किया जाएगा। दरअसल मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र में जीरो परसेंटाइल से एडमिशन देने का आदेश जारी हो चुका है। ( CG News ) सीट भर सके इसलिए सभी सीटों को कॉलेजों को सौंपा गया है। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शनिवार को खत्म भी हो गया। मेरिट सूची 23 नवंबर को जारी की जाएगी। वहीं प्रवेश प्रक्रिया 23 से 25 नवंबर तक चलेगी। इस साल नर्सिंग कोर्स में प्रवेश की आखिरी तारीख 30 नवंबर है। इस तारीख तक सीटें तो भरने से रहीं।

CG News: प्रदेश में 132 नर्सिंग कॉलेज

जानकारों का कहना है कि निजी नर्सिंग कॉलेजों में जब जीरो परसेंटाइल से ही छात्र-छात्राओं को प्रवेश देना है तो व्यापमं से एंट्रेंस एग्जाम कराने की औपचारिकता क्यों निभाई जा रही है? प्रदेश में 132 नर्सिंग कॉलेज है, जिनमें बीएससी नर्सिंग कोर्स का संचालन किया जा रहा है। बीएससी नर्सिंग में प्रवेश के लिए हर साल इंट्रेंस एग्जाम होती है, जो केवल औपचारिकता साबित हो रही है। औपचारिकता इसलिए क्योंकि दो या तीन राउंड के बाद सीटें खाली रहने पर जीरो परसेंटाइल से प्रवेश देने की मांग की जाती है। यह मांग शासन स्वीकार कर लेता है और सीएमई, डीएमई के माध्यम से इंडियन नर्सिंग काउंसिल भी इसे मंजूरी दे देती है। पिछले साल 5 फीसदी वाले छात्रों को प्रवेश दिया गया था।

प्रोफेशनल कोर्स है तो इंट्रेंस एग्जाम जरूरी

शासन को इंट्रेंस एग्जाम कराने की मजबूरी है। दरअसल कोई भी प्रोफेशनल कोर्स के लिए इंट्रेंस एग्जाम अनिवार्य है। ऐसा नहीं होता तो इंट्रेंस एग्जाम ही न हो और 12वीं बायोलॉजी में मिले नंबरों के अनुसार एडमिशन दे दिया जाता। हालांकि 4-5 साल पहले ऐसा भी हो चुका है। बीएससी कोर्स की ये हालत हो गई है कि कुछ कॉलेज छात्रों को कई ऑफर देते रहे हैं। यहां तक कि 52 से 58 हजार सालाना ट्यूशन फीस से भी कम फीस ली जा रही है। इसके बाद भी सीटें नहीं भर रही है। 2023 में जीरो परसेंटाइल से प्रवेश के बाद भी 900 से ज्यादा सीटें खाली रह गईं। पहले के वर्षों में औसतन 20 फीसदी सीटें खाली रही हैं।

धड़ल्ले से खुल रहे नर्सिंग कॉलेज…

दरअसल राजधानी समेत दूरदराज इलाकों में धड़ल्ले से नर्सिंग कॉलेज खुले हैं या खुल रहे हैं। यहां न ढंग का इंफ्रास्ट्रक्चर है और न फैकल्टी। यहां तक कि प्रैक्टिकल के लिए लैब भी नहीं है। न संबद्ध अस्पताल है। ऐसे में इन कॉलेजों की सीटें खाली रह जाती हैं। ऐसे ही कॉलेज छात्रों को ऑफर दे रहे हैं और फीस कम करने के बाद भी छात्रों के लाले पड़ रहे हैं। राजधानी के कुछ निजी कॉलेजों की भी सीटें खाली रह जाती हैं।

टॉपिक एक्सपर्ट

रिटायर्ड डीएमई डॉ. विष्णु दत्त ने कहा कि प्रोफेशनल कोर्स के लिए इंट्रेंस एग्जाम जरूरी है। पिछले कुछ सालों से बीएससी नर्सिंग में जीरो परसेंटाइल से प्रवेश दिया जा रहा है। इससे पढ़ाई की क्वालिटी गिर रही है। शासन ने एक आदेश में ऐसा कहा भी है। कॉलेजों की गुणवत्ता सुधारने की जरूरत भी है।

Published on:
23 Nov 2025 04:51 pm
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