Chaitanya Baghel: चैतन्य के खिलाफ ईओडब्ल्यू चालान पेश करने वाली थी, लेकिन किसी कारणवश इसे पेश नहीं किया गया। बता दें कि शराब घोटाले में ईडी ने 18 जुलाई को चैतन्य को जन्मदिन पर छापेमारी कर गिरफ्तार किया था..
Chaitanya Baghel: शराब घोटाले में पूर्व सीएम भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य, निरंजन दास, नीतेश पुरोहित व दीपेश चावडा़ की न्यायिक रिमांड को 14 दिन के लिए बढ़ा दिया गया है। अवधि पूरी होने पर 28 अक्टूबर को विशेष न्यायाधीश की अदालत में पेश किया जाएगा। ( CG News ) चैतन्य के खिलाफ ईओडब्ल्यू चालान पेश करने वाली थी, लेकिन किसी कारणवश इसे पेश नहीं किया गया। बता दें कि शराब घोटाले में ईडी ने 18 जुलाई को चैतन्य को जन्मदिन पर छापेमारी कर गिरफ्तार किया था। ईओडब्ल्यू ने 13 अक्टूबर को चार्जशीट पेश करने वाली थी, लेकिन कोर्ट में पेश कर 2 दिन के लिए फिर न्यायिक रिमांड पर भेज दिया गया था।
छत्तीसगढ़ के रायपुर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 2900 करोड़ रुपए के शराब घोटाले में आरोपी बनाए गए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य के खिलाफ विशेष न्यायालय में 5091 पन्नों का चालान पेश किया है। इसमें 91 पेज की समरी में बताया गया है कि किस तरह से शराब घोटाले से अर्जित रकम को कारोबार में निवेश किया गया। यह रकम विभिन्न माध्यमों से चैतन्य तक पहुंचती थी। इसे अपने करीबी लोगों के जरिए भी खपाया गया था। पेश किए गए चालान में चैतन्य की भूमिका के संबंध में बताया गया है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 3200 करोड़ के शराब घोटाले में पूर्व सीएम भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य को 18 जुलाई को गिरफ्तार किया। इसके बाद 22 जुलाई तक पूछताछ करने रिमांड पर लिया है। वहीं पूछताछ और जांच के बाद रिमांड बढ़ती गई। अब 4 महीने होने वाला है। पूर्व सीएम के बेटे जेल में बंद है। इधर भूपेश बघेल ने बेटे की रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तक चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन बेटे को जमानत नहीं मिली है।
शराब घोटाले से अर्जित अवैध वसूली की राशि पूर्व सीएम भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य को 16.70 करोड़ रुपए प्रोसीड्स ऑफ क्राइम (पीओसी) का हिस्सा मिला था। (ED Raid) ईडी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि अपराध से अर्जित नकदी को चैतन्य ने अपने रियल एस्टेट फर्मों में खपाने के साथ ही विभिन्न परियोजनाओं से जुड़े ठेकेदारों को नकद भुगतान, बैंक प्रविष्टियों के माध्यम से किया।
करीबी कारोबारी त्रिलोक सिंह ढिल्लन के साथ मिलीभगत कर अपनी कंपनियों में निवेश किया। त्रिलोक के यहां काम करने वाले कर्मचारियों के नाम पर विट्ठलपुरम प्रोजेक्ट में फ्लैट खरीदने के नाम पर अप्रत्यक्ष रूप से 5 करोड़ रुपए लिया गया। इसके ट्रांजेक्शन में संबंधित लेन-देन की अवधि के दौरान ब्योरा मिला है। यह राशि त्रिलोक को शराब सिंडिकेट से अपने बैंक खातों में भुगतान प्राप्त हुआ था। इस घोटाले की जांच करने पर पता चला है कि शराब घोटाले से राज्य के खजाने को करोड़ो रुपए का नुकसान हुआ है। वहीं इसके सिंडिकेट में शामिल लोगों को 2500 करोड़ रुपए से अधिक रकम मिली।