Raipur Smart City: केंद्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय से दिसंबर तक का समय स्मार्ट सिटी कंपनी को दिया गया है। इन्हें पूरा करके मेंटेनेंस के लिए निगम प्रशासन को हैंडओवर करना है।
Raipur Smart City: स्मार्ट सिटी कंपनी का बस्ताबंद हो चुका है, लेकिन कंपनी ने जिन कामों को शुरू किया अब वह उसके गले की फांस बन चुके हैं। राजधानी को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए शुरू किए गए चार प्रोजेक्ट समय-सीमा समाप्त होने के बाद अभी तक न तो पूरे हो सके हैं न ही शहर के लोगों को वह सुविधाएं मिल पाई। अभी भी 25 करोड़ रुपए के काम अधर में ही अटके हुए हैं। दावा किया जा रहा है कि जिन प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है, वे इसी साल दिसंबर तक पूरे हो जाएंगे। क्योंकि केंद्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय से दिसंबर तक का समय स्मार्ट सिटी कंपनी को दिया गया है। इन्हें पूरा करके मेंटेनेंस के लिए निगम प्रशासन को हैंडओवर करना है।
शहर के लोगों को स्मार्ट सिटी जैसी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए रायपुर स्मार्ट सिटी कंपनी को 900 करोड़ रुपए मिले, लेकिन इससे न तो बिजली के तारों का मकड़जाल हटाया जा सका, न ही मकानों और बाजारों की दुकानों से सटे बिजली खंभे शिफ्ट कराए गए। पुरानी बस्ती क्षेत्र में पहले जैसी अव्यवस्था का आलम है। लोगों के घरों के सामने बिजली के तार झूल रहे हैं। ऐसी समस्याओं पर काम ही नहीं कराया गया। ऐसा ही हाल 150 साल पुराने गोलबाजार और मालवीय रोड बाजार का है। यहां अव्यवस्थाओं में कोई सुधार नहीं हुआ। इस सड़क से ट्रैफिक मूवमेंट सामान्य करने के लिए दोनों तरफ पाथवे बनाया जाना था। यह काम भी नहीं कराया गया। केवल डिवाइडर में ग्रीन रेलिंग प्लेट लगाकर सौंदर्यीकरण की फाइल बंद कर दी गई।
शास्त्री बाजार में भी 14 करोड़ रुपए की लागत से स्मार्ट सिटी कंपनी ने काम शुरू कराया था। इसमें 183 दुकानों वाला व्यावसायिक कॉम्पलेक्स किसी तरह बनकर तैयार हुआ, लेकिन जिस हिस्से में हाइजनिक मटन मार्केट डेवलप करना था, वजह काम आज तक अधूरा है। इस प्रोजेक्ट के तहत यह तय किया गया था कि मटन मार्केट एक जगह होगा और गंदगी इधर-उधर नहीं फैलेगी।
पुरानी बस्ती रोड का पाथ-वे भी अधर में अटका
क्या कहते हैं अधिकारी
स्मार्ट सिटी कंपनी के प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए दिसंबर तक समय मिला है। शास्त्री बाजार और पुरानी बस्ती रोड का लगभग 90 प्रतिशत काम हो गया है। तीनों तालाबों का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के काम में तेजी आई है। दिसंबर तक ये सभी काम पूरे हो जाएंगे।
स्मार्ट सिटी कंपनी ने शहर के तीन प्रमुख तालाबों को गंदगी से बचाने का काम अपने हाथ में लिया। 17 करोड़ रुपए का यह प्रोजेक्ट ऐसा चला कि आज तक पूरा नहीं हुआ। नतीजा, महाराजबंध, खोखो तालाब और नरैहा तालाब में शहर के बड़े नालों की गंदगी सीधे इन्हीं तालाबों में मिल रही है। हैरानी ये कि कई महीनों तक काम बंद रहने के बाद एक बार फिर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को पूरा कराने का काम शुरू हुआ है। जिसे दिसंबर तक पूरा करना है।
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत ही साढ़े तीन करोड़ में लाखेनगर से बुढ़ेश्वर मंदिर चौक तक इस सड़क को स्मार्ट रोड बनाना था। वह काम भी अधर ही में अटका हुआ है। अभी तक लिली चौक के करीब पाथ-वे बनाने का काम पहुंचा है। मॉनीटरिंग के अभाव में इस प्रोजेक्ट के ठेकेदार को हटाकर दूसरे को लगाया गया है, तब जाकर काम शुरू हुआ है।