Singer Kailash Kher in CG: राज्योत्सव में शामिल हुए गायक कैलाश खेर अपनी सूफियाना आवाज और आत्मा को छू लेने वाले गीतों से पहचाने जाने वाले गायक कैलाश खेर का जीवन सादगी, संघर्ष और अध्यात्म का अद्भुत संगम है।
Singer Kailash Kher in CG: छत्तीसगढ़ के राज्योत्सव में शामिल हुए गायक कैलाश खेर अपनी सूफियाना आवाज और आत्मा को छू लेने वाले गीतों से पहचाने जाने वाले गायक कैलाश खेर का जीवन सादगी, संघर्ष और अध्यात्म का अद्भुत संगम है। वे मानते हैं कि जो चुनौतियों से आता है, वही चुना जाता है।
ऋषिकेश की घाटों पर आरती से शुरू हुआ उनका सफर आज विश्व मंच तक पहुंचा पर भीतर का संत अब भी वैसा ही है। कैलाश खेर कहते हैं संगीत मेरा धर्म है, लेकिन उसका आधार पवित्रता और सरलता है। उनके लिए सफलता का अर्थ है जो मिला है, उसे बांटते चलना, क्योंकि कुआं जितना देता है, उतना ही भरा रहता है। पेश है उनसे बातचीत के संपादित अंश।
साहब, यह सोच बचपन से ही रही। हम सामान्य घरों में पले-बढ़े, जहां माता-पिता से संस्कार मिले। हर माता-पिता चाहता है कि उसका बच्चा अच्छा बने। डाकू भी अपने बच्चे को डाकू बनने के लिए नहीं पालता। अपराधी भी अपने बच्चों को अपराधी बनने की शिक्षा नहीं देता। हम ऐसे परिवार से हैं जहां पिता प्रकांड पंडित और ज्योतिष के ज्ञाता थे। संगीत उनका शौक था, लेकिन उसमें भी जुनून था। वे संत वाणी गाते थे कबीर, गुरुनानक, गोरखनाथ, अमीर खुसरो, बुल्ले शाह। बचपन से इन्हें सुनते-सुनते सरलता, सहजता और अध्यात्म भीतर उतर गया।
हमारे घर में साधु आते थे, सत्संग होता था। हमनें कभी चित्रहार नहीं देखा, अंग्रेजी स्कूल में नहीं पढ़े। संस्कृत और हिंदी माध्यम से पढ़ाई की। इस अपब्रिंगिंग ने हमें आम दुनिया से थोड़ा अलग बना दिया। किशोरावस्था में कभी-कभी लगता था कि हम इस आधुनिक दुनिया में फिट नहीं होंगे। जब मैं ऋषिकेश में कर्मकांड सीखने गया, वहां गंगा आरती के दौरान गाता था। वही गाना मेरे ईश्वर ने मुझे जनमानस तक पहुंचाने का साधन बना दिया। उसके बाद कर्मकांड छूट गया और संगीत मेरा कर्म बन गया। आज जो च्कैलाश खेरज् आप देखते हैं, वह संगीत से ही बना है और यह संगीत पूरी तरह पवित्रता से लिया गया है।
हमारे गानों में चाहे रोमांस हो या मस्ती, उनमें सीख होती है । तू ख्वाब है या है धोखा, ठगनी है या कोई माया, है तू नचनी नाच नचावे, तुझे कोई समझ न पाया… देखिए, तौबा तौबा मस्ती का गीत है, पर इसका दर्शन यही है। जितना मन मोह और माया की ओर भागेगा, उतना ही विपत्ति की ओर जाएगा। कभी ऐसा नहीं हुआ कि आप माया के पीछे भागे और सुख पाया हो। सुख तो भीतर होता है। हमारा मन जितना लालच, धन-दौलत, माया और मोह की तरफ आकर्षित होता है, उतना ही असंतुलित होता है। पूरी रामायण और महाभारत इसी बात पर आधारित है। ईर्ष्या, लालच और मोह ही हर विपत्ति का कारण बने। हमारा जीवन भी इन्हीं अनुभवों से बना है, इसलिए आज के च्कैलाशज् के गीतों के अलावा बातचीत में अध्यात्म झलकता है।
देखिए, बजट कभी छोटा या बड़ा नहीं होता। न कुछ अच्छा होता है, न बुरा। बस होता है। हम सबके लिए खड़े हैं। अगर आप श्रद्धा से आइए तो काम अपने आप सार्थक हो जाता है। हम काम श्रद्धा से करते हैं, रकम से नहीं। उन्होंने बताया कि वे सालभर में लगभग 30त्न काम बिना किसी शुल्क के करते हैं। हम जो फ्री करते हैं, वो अपनी आय से करते हैं। हम गौरक्षा से भी जुड़े हैं। करीब डेढ़ हजार गायों को हमने अडॉप्ट किया हुआ है। ये बातें हम प्रचार के लिए नहीं कहते, पर जीने का यही ढंग है हमारा।
देखिए, न हमें कोई दर्शन दिखाना है, न संतुष्टि चाहिए। जब आप संतुष्ट हो जाते हैं, तो रिटायरमेंट की तरफ बढ़ जाते हैं। मैं तो व्याकुल हूं, विह्वल हूं, पागल हूं। मुझे और च्कैलाश खेरज् खड़े करने हैं। जब खुद छक जाओ, तो किसी और को छकाओ। जब खुद पढ़ जाओ, तो किसी और को पढ़ाओ। लेकिन ऐसा होता नहीं। कोई धनवान किसी और को धनवान नहीं बनने देता, कोई बुद्धिमान किसी और को बुद्धिमान नहीं बनने देता। उसका अहंकार आड़े आता है। मैंने तय किया है। मुझे अहंकार को पराजित करना है। सहजता से जो मेरे पास है, उसे बांटना है। अभी जो मैं आपसे बांट रहा हूं, यह सूक्तियां हैं।
आजकल सोशल मीडिया पर हर मनुष्य ज्ञानी बन रहा है, लेकिन ज्ञान में तपना पड़ता है। आप वही परोसें जो आप जीते हैं। वही सच्चा ज्ञान है। हमारी हर बात से एक सूक्ति, एक कोट निकलती है। कुएं के पास जल होता है, वह बांटता है, इसलिए भरा रहता है। कुएं ने कभी नहीं कहा कि मुझे भी दे दो, कुछ टैंकर पानी। वो जितना बांटता है, उतना ही भरा रहता है। यही सफलता है जितना बांटोगे, उतना बढ़ोगे। अगर आपने इस पृथ्वी पर एक भी मनुष्य को अच्छा बना दिया, तो समझिए आपका जीवन सफल है।