रायपुर

World Elephant Day 2024: दो साल में हाथियों ने ली 204 लोगों की जान, अब AI की मदद से हो रहा रोकथाम

World Elephant day 2024: 2018 से 2020 के बीच हाथियों के हमलों में 204 लोगों की मौत हो चुकी है और 97 लोग घायल हुए हैं। इस अवधि में 45 हाथियों की मौत भी हुई..

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Aug 12, 2024

World Elephant Day 2024: दिनेश यदु. आज विश्व हाथी दिवस पर छत्तीसगढ़ में मानव-हाथी संघर्ष की गंभीर स्थिति पर ध्यान केंद्रित किया गया है। 2018 से 2020 के बीच हाथियों के हमलों में 204 लोगों की मौत हो चुकी है और 97 लोग घायल हुए हैं। इस अवधि में 45 हाथियों की मौत भी हुई, जिसमें सबसे अधिक 18 मौतें 2020 में दर्ज की गईं। यह संघर्ष न केवल मानव जीवन के लिए खतरनाक है, बल्कि वन्यजीवों के लिए भी गंभीर संकट पैदा कर रहा है।

World Elephant Day 2024: तीन वर्षों में 75,081 घटनाएं

World Elephant Day 2024: तत्कालीन वन मंत्री मोहम्मद अकबर 2023 के विधानसभा में जवाब के अनुसार, इन तीन वर्षों में कुल 75,081 घटनाएं हुई हैं, जिनमें मौतें, चोटें, फसल क्षति, घरों और अन्य संपत्तियों का नुकसान शामिल है। इन घटनाओं के पीड़ितों को 57,81,63,655 रूपए की मुआवजा राशि प्रदान की गई है। छत्तीसगढ़ के उत्तरी भाग, विशेषकर सरगुजा, जशपुर और अंबिकापुर में मानव-हाथी संघर्ष की घटनाएं अधिक हैं, जहां लगभग 240 जंगली हाथी निवास करते हैं। ये हाथी अक्सर मानव बस्तियों के पास पहुंच जाते हैं, जिससे संघर्ष की स्थिति उत्पन्न होती है।

CG Elephant terror: मधुमक्खियों का उपयोग: एक नई योजना

छत्तीसगढ़ में हाथी-मानव संघर्ष ( CG Elephant terror ) को कम करने के लिए एक नई योजना लागू की जा रही है, जिसमें मधुमक्खियों का उपयोग किया जाएगा। 2016 में भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई इस मधुमक्खी पालन परियोजना को पुनर्जीवित किया जा रहा है। मनोरा परिक्षेत्र में 50 हितग्राही, विशेष रूप से पिछड़ी जनजातियों के सदस्य, चयनित किए गए हैं। इस योजना के तहत, इन हितग्राहियों को मधुमक्खी बाड़ लगाने के लिए प्रशिक्षण और बी-बॉक्स प्रदान किए गए हैं।

आईआईटी मुंबई के विशेषज्ञों द्वारा तकनीकी मार्गदर्शन भी दिया गया है। मधुमक्खियों की भिनभिनाहट और काटने के डर से हाथी उन क्षेत्रों से दूर रहते हैं। यह परियोजना सरगुजा, जशपुर और अंबिकापुर में लागू की जा रही है, जहां लगभग 300 हाथियों पर निगरानी रखी जा रही है। 100 दिनों में प्राप्त परिणामों के आधार पर इस योजना को अन्य जिलों में भी लागू करने का विचार किया जाएगा।

जशपुर में हाथी-मानव संघर्ष की स्थिति

झारखंड और ओडिशा की सीमा पर स्थित छत्तीसगढ़ का जशपुर जिला जंगली हाथियों का प्रमुख निवास स्थान है। यहां हाथियों और आदिवासियों का सह-अस्तित्व सदियों से रहा है, लेकिन हाल के दशकों में मानव-हाथी संघर्ष बढ़ गया है। जंगलों की कमी और विकास परियोजनाओं के कारण कई लोग हाथियों के हमलों का शिकार बने हैं।

2019 से 2023 में 245 लोगों की मौत

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2019 से 2023 के बीच हाथियों के हमलों में 245 लोगों की मौत हुई, जो भारत में इस तरह की मौतों का 15 प्रतिशत है। इस दौरान 84 से अधिक लोग घायल हुए और 60,000 से ज्यादा फसल क्षति की घटनाएं सामने आईं। राज्य में लगभग 300 जंगली हाथी हैं, जबकि देश में कुल 30,000 से अधिक हैं। हाल ही में केंद्र सरकार ने कहा कि हाथी गलियारों की संख्या 2010 में 88 से बढ़कर 2023 में 150 हो गई है। हालांकि, सड़क निर्माण और खनन जैसी परियोजनाओं के कारण कई गलियारों को नष्ट किया गया है, जिससे हाथियों की सुरक्षा प्रभावित हो रही है।

छत्तीसगढ़ में एआई से हाथी-मानव टकराव की रोकथाम

छत्तीसगढ़ में वन विभाग ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) का उपयोग हाथी और मानव के बीच टकराव को रोकने के लिए शुरू किया है। उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व, धमतरी, गरियाबंद, धरमजयगढ़, कटघोरा, सरगुजा, जशपुर, और अंबिकापुर में घूम रहे करीब 300 हाथियों की निगरानी एक विशेष ऐप के माध्यम से की जा रही है। एआई आधारित छत्तीसगढ़ एलीफेंट ट्रैकिंग एंड अलर्ट ऐप पर हाथियों की लोकेशन ट्रैक की जाती है।

वन विभाग ने 'हाथी मित्र दल' को तैनात किया है, जो मोबाइल ऐप पर हाथियों की जानकारी दर्ज करता है। यह जानकारी ऑटोमेटेड वोईस कॉल्स, एसएमएस और व्हाट्सएप मैसेज के माध्यम से ग्रामीणों को भेजी जाती है, ताकि वे सतर्क रहें। इसके अलावा, शाम को हाथी समाचार बुलेटिन आकाशवाणी केंद्र से प्रसारित किया जाता है, जिससे लोगों को हाथियों की गतिविधियों के बारे में समय पर जानकारी मिल सके।

पूर्व आईएफएस अधिकारी केके बिशेन के सुझाव

पूर्व आईएफएस अधिकारी केके बिशेन ने हाथी-मानव संघर्ष को कम करने के लिए सुझाव दिए हैं। उन्होंने कहा कि केरल और कर्नाटक में हाथियों की संख्या अधिक होने के बावजूद संघर्ष कम होता है। अपने कार्यकाल में, उन्होंने 6 हाथी दलों में रेडियो कॉलर लगाकर उनकी निगरानी की थी। बिशेन ने सुझाव दिया कि गांवों में पक्के मकान बनाए जाने चाहिए और जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए। घरों के बाहर झालर लाइटें लगाने से हाथियों को दूर रखा जा सकता है। ग्रामीणों की सावधानी से जनहानि को रोका जा सकता है।

हाथियों की उत्तेजना के कारण और समाधान

सीतानदी उंदती के उपनिदेशक वरुण जैन ने बताया कि पटाखे फोड़ना, मिर्ची बम का उपयोग, पत्थर मारना, और बिजली की चपेट में आने से हाथी उत्तेजित होते हैं। विस्थापित हाथी अधिक आक्रामक होते हैं। अतिक्रमण, अवैध कटाई, सड़क निर्माण, और खदानें भी हाथियों को परेशान करती हैं। हमें इन कारणों को समझकर समाधान निकालना होगा।

हाथी-मानव संघर्ष कम करने के उपाय

पर्यावरण वन्यप्राणि प्रेमी दीपेन्द्र दीवान ने कहा कि हाथियों के प्राकृतिक आवास को संरक्षित और पुनर्स्थापित करने से वे जंगलों में रह सकेंगे, जिससे मानव बस्तियों की ओर नहीं आएंगे। स्थानीय समुदायों को हाथियों के व्यवहार और संघर्ष प्रबंधन के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। सुरक्षित कॉरिडोर और प्रशिक्षित टीमें हाथियों को सुरक्षित रूप से जंगलों में वापस भेज सकती हैं।

पीपीसीएफ वाइल्ड लाइफ के अनुसार हाथी-मानव संघर्ष रोकने के उपाय

पीपीसीएफ वाइल्ड लाइफ सुधीर अग्रवाल ने बताया कि हाथियों का संभावित प्रवास क्षेत्रों में गांवों को वायरलेस, मोबाइल, और माइक से पूर्व सूचना देकर सचेत किया जाता है। मैदानी अमले सतत निगरानी करते हुए ग्रामीणों को हाथी प्रभावित क्षेत्रों में जाने से रोकते हैं। हाथी मित्र दल वन कर्मचारियों को हाथियों के आगमन की जानकारी देते हैं और स्थिति नियंत्रण में रखते हैं।

सरपंच, सचिव और ग्रामीणों के व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से हाथियों की जानकारी साझा की जाती है। प्रतापपुर क्षेत्र में सूरजपुर और बलरामपुर वनमण्डल में हाथी मित्र दल गठित हैं जो हाथी ट्रेकर का कार्य भी करते हैं। वन प्रबंधन समितियों की बैठकों में जनधन की क्षति रोकने के उपायों का प्रचार-प्रसार किया जाता है और आवश्यकता पड़ने पर ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाता है।

Updated on:
12 Aug 2024 01:53 pm
Published on:
12 Aug 2024 01:51 pm
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