World Malaria Day: मलेरिया कार्यक्रम से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, रायपुर में पाए जाने वाले मच्छर आर्मेजर है। इससे न मलेरिया फैलता है और न डेंगू। यहां तक चिकनगुनिया व फायलेरिया भी नहीं फैलता।
World Malaria Day: प्रदेश में मलेरिया के मामले में बस्तर संभाग अतिसंवेदनशील है। बीजापुर, दंतेवाड़ा व नारायणपुर में प्रदेश के 62 फीसदी केस मिलते हैं। जबकि राजधानी समेत रायपुर जिले में पिछले तीन साल से मलेरिया का एक भी केस नहीं मिला है। ये दावा स्वास्थ्य विभाग का है। उनका कहना है कि एक-दो साल में अगर एक भी मरीज नहीं मिला तो रायपुर जिला मलेरियामुक्त घोषित कर दिया जाएगा।
विश्व मलेरिया दिवस 25 अप्रैल को मनाया जाएगा। इस मौके पर पत्रिका ने पड़ताल की तो रायपुर जिले के मामले में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। जिले की आबादी 27 लाख के आसपास है। दरअसल, मलेरिया के मरीज होने के लिए ही शर्त ही ऐसी है कि इसमें आंकड़ों को कम-ज्यादा दिखाना मुश्किल नहीं है। उदाहरण के लिए कोई व्यक्ति मलेरिया पॉजीटिव है और उनकी 15 दिनों की कोई ट्रेवल हिस्ट्री न हो, तभी उसे रायपुर का मरीज माना जाएगा।
अगर ट्रेवल हिस्ट्री मिली तो जहां से वह आया है, वहां का मरीज माना जाता है। डॉक्टरों के अनुसार, खासकर बारिश के सीजन में यानी जुलाई से सितंबर तक काफी मच्छर होते हैं। मलेरिया के केस भी मिलते हैं, लेकिन हो सकता है कि शर्तों के कारण उनकी गिनती बाहर के जिलों में होती हो। हालांकि ये राहत की बात है कि जिले में एक भी मरीज नहीं है। डब्ल्यूएचओ की टीम तीन बार जिले का निरीक्षण कर चुकी है। हालांकि उनका पूरा फोकस बस्तर रहता है। फोरेस्ट होने के कारण वहां मच्छरों को खत्म भी नहीं किया जा सकता।
मलेरिया कार्यक्रम से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, रायपुर में पाए जाने वाले मच्छर आर्मेजर है। इससे न मलेरिया फैलता है और न डेंगू। यहां तक चिकनगुनिया व फायलेरिया भी नहीं फैलता। जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. विमलकिशोर राय के अनुसार, रायपुर जिले में मादा एनाफिलिस मच्छर नहीं है।
अगर होते तो मलेरिया के केस जरूर आते। यहां गंदगी में पनपने वाले मच्छर आर्मेजर है, जो साइज में बड़े आकार के होते हैं। ये काटते हैं और लोगों के खून चूसते हैं। इनसे बीमारी नहीं फैलती। जिले में हर साल आबादी की 12 फीसदी लोगों की स्लाइड बनाई जा रही है। मितानिन आरडी किट से इसकी जांच भी कर रही है। सभी रिपोर्ट नेगेटिव आ रही है।
World Malaria Day: इंटरनेशनल जर्नल लैंसेट की एक रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण पूरी दुनिया में मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल मौसम बन रहा है। मच्छरों की प्रजनन दर के साथ उनके काटने की दर में भी बढ़ोत्तरी हुई है। आशंका है कि आने वाले दिनों में मच्छरों से होने वाली बीमारियां बढ़ सकती हैं।
डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार, पूरी दुनिया में मच्छर से फैलने वाली बीमारी व मलेरिया से मरने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है। 2021 में मलेरिया से 6 लाख 19 हजार लोगों की जान चली गई। तब मलेरिया के लगभग 24.7 करोड़ केस आए थे। विशेषज्ञों के अनुसार गर्मी बढ़ने के साथ मच्छरों के जीवन चक्र में तेजी आती है और अंडे से एक व्यस्क मच्छर बनने का समय कम हो जाता है।