जिले में सिंघाड़े को कैमिकल युक्त रंग में उबालकर बेचा जा रहा है। इससे स्वास्थ्य को भी नुकसान होने की संभावना बनी रहती है। इसके बावजूद कोई भी ध्यान नहीं दे रहा है। आमजन भी अनजाने में इसका उपयोग कर रहे हैं।
हिमांशु धवल
राजसमंद. स्वास्थवद्र्धक सिंघाड़े को कैमिकल युक्त रंग में उबालकर बेचा जा रहा है। इसके प्रयोग से स्वास्थ्य को नुकसान तो होता है साथ ही सिंघाड़े के पौषक तत्व भी समाप्त हो जाते हैं। इसके बावजूद जिला मुख्यालय सहित जिले में कई स्थानों पर रंग में उबले सिंघाड़ों की जमकर बिक्री हो रही है। सिंघाड़े की पैदावार पानी में होती है। यह एक ऐसा फल है जो त्रिकोण आकार का और दो सिंग वाला होता है। इसे अपने आकार और अनगिनत फायदों के लिए जाना जाता है। इसमें कई तरह के विटामिंस और मिनरल्स पाए जाते हैं, जो संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। सिंघोड़े की सर्वाधिक आवक सर्दी में होती है। इसके चलते इन दिनों शहर के सभी बाजार और गली-मोहल्लों में रेड़ी वाले इन्हें बेचते घूमते है। प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में सिंघाड़े को कच्चा छीलकर खाया जाता है। लेकिन राजसमंद जिला मुख्यालय, देवगढ़, भीम और नाथद्वारा सहित कई स्थानों पर सिंघाड़ों को कैमिकल युक्त रंग में उबाला जाता है। इसके कारण हरे और गुलाबी रंग के आने वाले सिघाड़े पूरी तरह से काले हो जाते हैं। इसकी बिक्री के दौरान इन्हें बीच में काटकर बेचा जाता है। इन्हें काटने वाले के हाथ भी पूरी तरह से काले हो जाते हैं और कई दिनों तक हाथ से रंग नहीं छूटता है। ऐसे में हम स्वत: ही अंदाजा लगा सकते हैं कि ऐसे सिंघाड़े खाने से हमारे स्वास्थ्य का क्या हाल होता होगा। इसके बावजूद किसी ने भी इन्हें ऐसा करने से रोकने और समझाने का प्रयास नहीं किया।
जानकारों के अनुसार गर्म पानी में कच्चे नमक की तरह हल्के हरे रंग के टुकडों का डाला जाता है। इसके साथ ही कुछ अन्य सामग्री डाली जाती है। सिंघाड़े को डालकर करीब चार से पांच घंटे तक उबाला जाता है। इसके बाद उन्हें बाहर निकालकर सुखाया जाता है। इसके पश्चात इन्हें बेचा जाता है। सिंघाड़े को उबालने के दौरान डाले जाना नमक की तरह रंग 30 रुपए किलो बाजार में कुछ दुकानों पर उपलब्ध है।
जानकारों के अनुसार सिंघाड़ा फल पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें विटामिन ए, विटामिन सी मैंगनीज कार्बोहाइड्रेट सिट्रिक एसिड मैंगनीज थायमाइन रीबोफ्लेविन फास्फोराइलेज बीटा-एमिलेज, प्रोटीन और निकोटेनिक एसिड पाया जाता है। इनके अलावा भी सिंघाड़े में कई विटामिंस और मिनरल्स होते हैं, जिससे स्वास्थ्य को कई तरह से लाभ मिलता है।
वैसे तो अधिकतर लोग सिंघाड़े का फल खाना पसंद करते हैं। सिंघाड़े का सेवन छीलकर किया जा सकता है। कच्चे सिंघाड़े को फ्राई करके भी खा सकते हैं। इसके साथ ही सिंघाड़े का सेवन आटा के रूप में रोटी बनाकर भी किया जाता है।
: सिंघाड़ा वजन कम करने में
: बवासीर में भी होता लाभदायक
: दांतों और हड्डियों को देता मजबूती
: प्रेगनेंसी या गर्भावस्था में भी फायदेमंद
: इम्युनिटी बढ़ाने एवं स्किन के लिए उपयोगी
बाजार में काले सिंघाड़ों की बिक्री हो रही है। इसकी प्रोसेसिंग करने के नाम पर कपड़े रंगने के रंग का उपयोग किया जाता है। उबालने के दौरान यह रंग छिलके के साथ कुछ मात्रा में गिरि तक भी पहुंच जाता है जो कि कैंसर कारक भी हो सकता है। सामान्य हरे और लाल सिंघाड़े जल्दी खराब हो जाते हैं। जबकि काले सिंघाड़े कई दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है। एक भ्रांति लोगों में है कि काले रंग के सिंघाड़े पके हुए होते हैं इसलिए वो काले सिंघाड़े खरीदना पसंद करते हैं, जबकि लाभदायक साधारण सिंघाड़े होते हैं।
डॉ. कपिल देव आमेटा, असोसिएट प्रोफेसर, राजस्थान कृषि महाविद्यालय उदयपुर
सिंघाड़ों को काला करने के लिए रंग या कैमिकल डाला जा रहा है तो सेम्पल लेकर इसकी जांच करवाई जाएगी। जांच में कुछ हानिकारक पाया जाता है इन्हें पाबंद कराया जाएगा।