रतलाम

#Ratlam में कोर्ट ने माना भैंसों के पंख नहीं होते, 10 साल बाद किसान को मिला इंसाफ

बिजली कंपनी की लापरवाही पर कोर्ट सख्त, 1.40 लाख मुआवजा किसान को देने के आदेश

2 min read
Dec 13, 2025
ratlam court order news

रतलाम। न्याय मिलने में देर हो सकती है, लेकिन जब मिलता है तो मिसाल बनता है। ग्राम माधोपुर के किसान रामसिंह गुर्जर को 10 वर्ष बाद आखिरकार न्याय मिला। रतलाम जिले के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश संदीप कुमार सोनी की अदालत ने बिजली कंपनी की बेतुकी दलीलों को सिरे से खारिज करते हुए किसान के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला देते हुए बिजली कंपनी पर 1 लाख 40 हजार रुपए मुआवजा किसान रामसिंह गुर्जर को देने को कहा है।

हादसा और लंबी कानूनी लड़ाई

अभिभाषक संजय शाह के अनुसार वर्ष 2015 में रामसिंह गुर्जर की तीन भैंसें खेत के पास लगे बिजली के ढीले तारों की चपेट में आकर मर गई थीं। पीड़ित किसान ने मुआवजे की मांग को लेकर न्यायालय की शरण ली, लेकिन निचली अदालत ने तकनीकी आधार पर प्रकरण खारिज कर दिया। इसके बाद किसान ने अपील दायर की, जहां से मामले ने नया मोड़ लिया।

कोर्ट की सख्त टिप्पणी

सुनवाई के दौरान बिजली कंपनी ने तर्क दिया कि उनके 11 केवी के तार पर्याप्त ऊंचाई पर थे और भैंसों ने उछल-कूद (फ्रॉलिकिंग) करते हुए तारों को छू लिया होगा। इस पर किसान पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे एडवोकेट संजय शाह ने तर्क दिया कि यदि तार ऊंचाई पर थे तो भैंसें वहां तक कैसे पहुंचीं। “भैंसों के पंख नहीं होते कि वे उड़कर तारों को छू लें।” अदालत ने इस तर्क को युक्तिसंगत माना।

इस सिद्धांत को स्वीकार किया

न्यायालय ने प्रस्तुत तथ्यों के साथ कठोर दायित्व (स्ट्रिक्ट लायबिलिटी) के सिद्धांत को स्वीकार किया। कोर्ट ने माना कि घटना के तुरंत बाद लाइनमैन द्वारा बिजली सप्लाई बंद कराना स्वयं कंपनी की लापरवाही को दर्शाता है। साथ ही भैंसों की खरीद रसीद न होने को स्वाभाविक मानते हुए स्वामित्व पर उठाई गई आपत्ति को भी खारिज कर दिया। कोर्ट ने अपने फैसले को सुनाते हुए कहा की हादसा बिजली कंपनी की लापरवाही से हुआ है बिजली कंपनी के संबंधित अधिकारियों को किसान को 1.40 लाख रुपए मुआवजा देने के आदेश दिए गए वही किसान द्वारा वहन किया गया पूरा अदालती खर्च भी कंपनी को चुकाना होगा।

Published on:
13 Dec 2025 11:17 pm
Also Read
View All

अगली खबर