सागर

हवन-पूजन कर भगवान काल भैरव को मंगोड़ी और इमरती का लगाया भोग, बजाई ढाक

शास्त्री वार्ड के सिद्ध क्षेत्र मां हरसिद्धि मां ललिता धाम में स्थापित भगवान शिव के रूद्र अवतारी काल भैरव अष्टमी पर भगवान काल भैरव का हवन पूजन हुआ। भगवान को भोग में उरद दाल से निर्मित बरा, मंगोड़ी, इमरती, काली तिल और मिष्ठान का भोग लगाया।

less than 1 minute read
Nov 24, 2024
sagar

शास्त्री वार्ड के सिद्ध क्षेत्र मां हरसिद्धि मां ललिता धाम में स्थापित भगवान शिव के रूद्र अवतारी काल भैरव अष्टमी पर भगवान काल भैरव का हवन पूजन हुआ। भगवान को भोग में उरद दाल से निर्मित बरा, मंगोड़ी, इमरती, काली तिल और मिष्ठान का भोग लगाया। भगवान काल भैरव से समस्त भक्तों के कल्याण की कामना की। पुजारी अंकित सनकत ने बताया कि यह मंदिर शहर का सबसे सुप्रसिद्ध भगवान काल भैरव मंदिर है। यहां लगभग 4 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है। धाम संस्थापक राकेश सनकत ने बताया कि काल भैरव की उत्पत्ति एक धार्मिक कथा के अनुसार जब ब्रह्मा ने स्वयं को शिव से भी बड़ा बताया तो भगवान शिव ने उनका अहंकार समाप्त करने का निश्चय किया। धार्मिक मान्यता है कि भगवान शिव ने अपने क्रोध से कालभैरव का अवतार लिया।
दरबार में सजाया फूल बंगला
जयंती पर चकराघाट स्थित गंगा मंदिर में विराजमान बाबा काल भैरव के दरबार में फूल बंगला बनाया गया। काल भैरव मंदिर में तिल के तेल से बाबा काल भैरव का अभिषेक किया गया। इस दौरान विश्व में सुख शांति के उद्देश्य से हरि ओम विश्व शांति अभियान मंडल के उमाशंकर सोनी व मंडल के सदस्यों ने ढाक बजाई। ढाक संगीत बाबा का अति प्रिय संगीत है और बुंदेलखंड का प्राचीन संगीत है। इसको सुनने से मनुष्य के मन को शांति मिलती है। नए विचार उत्पन्न होते हैं। प्रदेश कार्य समिति सदस्य शैलेष केसरवानी ने बताया कि प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी बाबा काल भैरव जयंती पर चकराघाट स्थित दरबार में कार्यक्रम आयोजित किए गए।

Published on:
24 Nov 2024 05:18 pm
Also Read
View All

अगली खबर