स्थानीय अधिकारियों की उदासीनता से अवैध रूप से रह रहे लोग, हो रही संदिग्ध गतिविधियां
बीना. रेलवे कॉलोनियों में लंबे समय से खाली पड़े जर्जर आवास अब अवैध कब्जों का अड्डा बनते जा रहे हैं। वर्तमान में बाहर से आकर रेलवे का काम करने वाली निजी कंपनियों के कर्मचारी इन खाली पड़े रेलवे आवासों में बिना अनुमति के डेरा जमाए हुए हैं। इसके बावजूद स्थानीय रेलवे अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
एक ओर रेलवे प्रशासन ने बीते महीनों में कई जर्जर आवासों को सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए नियमित रेलकर्मियों से खाली करा लिया था, तो दूसरी ओर अब उन्हीं आवासों में बाहरी कंपनियों के लोग रह रहे हैं। इससे यह सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर सुरक्षा मानकों का हवाला देकर कर्मचारियों पर दबाव डाला गया या फिर अधिकारियों की अनदेखी इस अवैध कब्जे को बढ़ावा दे रही है।
हो रही हैं संदिग्ध गतिविधियां
स्थानीय लोगों का कहना है कि रात के समय इन आवासों में आवाजाही बढ़ जाती है व कई बार संदिग्ध गतिविधियां भी देखी गई हैं। शिकायतें दर्ज कराने के बावजूद रेलवे की ओर से न तो निरीक्षण किया गया और न ही किसी प्रकार की रोकथाम की गई।
नहीं मिलती रहने की अनुमति
रेलवे कर्मचारियों का आरोप है कि यदि कोई नियमित कर्मचारी परिवार सहित रहने की अनुमति मांगे तो उन्हें जर्जर भवन, मरम्मत लागत और नियमावली का हवाला देकर रोक दिया जाता है, लेकिन बाहरी लोगों पर कोई पाबंदी नहीं लगाई जा रही है। रेलकर्मियों ने जीएम तथा डीआरएम कार्यालय में इस मुद्दे पर संज्ञान लेने और त्वरित कार्रवाई की मांग की है, ताकि कॉलोनी में दोबारा अनुशासन और सुरक्षा का माहौल स्थापित हो सके।