प्रोजेक्ट को बनारस हिंदू विश्व विद्यालय के इनोवेशन हब के साथ बढ़ाना चाहते है आगे टीकमगढ़ . पलेरा निवासी युवा वैज्ञानिक प्रखर विश्वकर्मा ने एक ऐसा इनोवेशन किया है जो भारत के रक्षा क्षेत्र में एक नई क्रांति ला सकता है। इन्होंने नई डिजाइन की मिसाइल बनाई है और रिलॉन्च ऑटोमेटिक मिसाइल नाम रखा है। […]
प्रोजेक्ट को बनारस हिंदू विश्व विद्यालय के इनोवेशन हब के साथ बढ़ाना चाहते है आगे
टीकमगढ़ .
पलेरा निवासी युवा वैज्ञानिक प्रखर विश्वकर्मा ने एक ऐसा इनोवेशन किया है जो भारत के रक्षा क्षेत्र में एक नई क्रांति ला सकता है। इन्होंने नई डिजाइन की मिसाइल बनाई है और रिलॉन्च ऑटोमेटिक मिसाइल नाम रखा है। यह हाल ही में बनारस हिंदू विश्व विद्यालय में अध्ययन कर रहे है।
प्रखर विश्वकर्मा का कहना है कि यह एक रियुजेबल मिसाइल प्रणाली है, जो हमला करने के बाद स्वयं अपने लॉन्च पैड पर वापस लौटने में सक्षम है। यह तकनीक भारत को कम लागत में बार बार हमले करने की क्षमता दे सकती है। जिससे रक्षा क्षेत्र में रणनीतिक बढ़त हासिल होगी। प्रखर अपने प्रोजेक्ट को बीएचयू के साथ मिलकर ही पेटेंट रिसर्च और डेवलपमेंट का कार्य करना चाहते है। क्योंकि बीएचयू पहले से ही डीआरडीओ और इसरो के साथ कई अनुसंधान कर चुका है। उन्होंने कहा कि बीएचयू के सहयोग और अनुभवी रिसर्चर्स से इस प्रोजेक्ट को बहुत गति मिल सकती है।
प्रखर का कहना है कि ये इनोवेशन भारत के रक्षा क्षेत्र को एक नई दिशा देगा, जिसे यह मिसाइल परियोजना जल्दी ही देश की सेवा में आए। मिसाइल का नाम रिलॉन्च ऑटोमेटिक मिसाइल यानि प्रोजेक्ट राम है। यह डबल इंजन और डबल स्टेज मिसाइल है। उन्होंने डिजाइन जेट और मिसाइल का कॉम्बिनेशन करके बनाया है। उनकी तकनीक ऑटो पायलट नियंत्रण प्रणाली द्वारा संचालित है और कई पुरस्कार और अवार्ड भी मिले है।
उनका कहना था कि उन्हें वर्ष 2020 में नासा का साइंटिस्ट फॉर अडे अवॉर्ड मिला था। इसके बाद उन्हें इसरो द्वारा आदित्य एल 1 क्विज के लिए भी सर्टिफिकेट मिला। उन्होंने वर्ष 2023 में चंद्रयान 3 की लॉचिंग में भी हिस्सा लिया था। वर्ष 2023 में उन्हें जर्मनी से अंतरराष्ट्रीय स्पेस एक्सपो में शामिल होने का आमंत्रण भी मिला था। इसके साथ साथ उन्होंने नेहरू विज्ञान केंद्र मुंबई, बिरला म्यूजियम कोलकाता, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में प्रेजेंटेशन दिए।