GST Reforms: जीएसटी काउंसिल के फैसलों ने उलझन बढ़ा दी है। नोटबुक-कॉपी पर जीएसटी शून्य, लेकिन कागज और 2500 से ऊपर के कपड़े महंगे। अब पढ़ाई और फैशन दोनों पर असर।
MP News: जीएसटी में छूट (GST Reforms) के बाद कपड़ा और स्टेशनरी व्यापारी की उलझन बढ़ गई है। जहां नोटबुक और कॉपी से जीएसटी हटाकर उसे शून्य किया गया है, वहीं कागज यानी रॉ मटेरियल पर जीएसटी 18 फीसदी तक कर दिया है। इससे नोटबुक और कॉपियों के दाम बढ़ जाएंगे। ऐसा ही हाल कपड़ा मार्केट का है।
सस्ते और अनब्रांडेड कपड़े पर जीएसटी घटाकर 5 फीसदी कर दिया गया है, इसलिए वह अब सस्ते मिलेंगे। वहीं 2500 रुपए और इससे ऊपर की कीमत वाले कपड़ों को प्रीमियम रेंज में मानते हुए उनपर 18 फीसदी जीएसटी लगाया गया है। ऐसे में अब ब्रांडेड या अच्छे कपड़े महंगे मिलेंगे।
स्टेशनरी संचालकों का कहना है कि कागज पर जीएसटी 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत (GST on Paper) करना गलत कदम है। इससे शिक्षा, पैकेजिंग, छोटे उद्योगों और आम लोगों पर बुरा असर पड़ेगा। स्टेशनरी व्यापारी बलराम छबलानी ने बताया कि कागज आवश्यकता की चीज है। यह शिक्षा, साक्षरता और पर्यावरण के अनुकूल पैकेजिंग के लिए बहुत जरूरी है। नोटबुक पर जीएसटी सरकार ने शून्य कर दिया है, लेकिन कागज के दाम बढ़ा दिए। इससे नोटबुक सस्ती कैसे मिलेगी। हम उम्मीद कर रहे थे कि पेपर को 5 प्रतिशत स्लैब में लाया जाएगा। (MP News)
कपड़ा व्यापारियों की मानें तो त्योहार पर 2500 से अधिक साड़ी या कुर्ता-पायजमा पहनने पर 18 फीसदी टैक्स (GST on Premium Clothes) चुकाना होगा। सामान्य तौर पर अच्छी साड़ी सूट 2500 से अधिक की आती है, इसी तरह लहंगा वगैरह की कीमत तो और अधिक होती है। यह सब प्रीमियम रेंज में आएंगे। कपड़ा व्यापारी वीरेंद्र ताले ने जीएसटी और कीमत का गणित समझाया। बताया कि सस्ते कपड़ो पर जीएसटी की दर 5 प्रतिशत थी। सरकार ने इसे बीच में बढ़ाकर 5 प्रतिशत से 12 प्रतिशत कर दिया।
अब जीएसटी काउंसलिंग की बैठक के बाद सस्ते कपड़ों पर जीएसटी फिर से 5 प्रतिशत हो गया है, लेकिन प्रीमियम कपड़ो पर दर बढ़ गई है। त्योहार पर लोग डिजाइनर और अच्छे कपड़े पहनाना पसंद करते हैं। अभी दिवाली और करवाचौथ आ रही है। महिलाओं की अच्छी साड़ी और लहंगा की रेंज 2500 रुपए से ही शुरु होती है। 2500 वाले कपड़े पर 15 प्रतिशत जीएसटी देना होगा। फैशन अब और भी अधिक मंहगा हो जाएगा। (MP News)