दान देने का भी अभिमान नहीं करना चाहिए। जब भी कभी आपके सामने दान देने वालों की घोषणा हो तो आप ताली अवश्य बजाय इससे भी पुण्य का संचय होता है। यह बात पर्युषण पर्व के 8 वें दिन उत्तम त्याग धर्म पर पारसनाथ जैन मंदिर में मुनि विमल सागर महाराज ने धर्म सभा में कही।
दान देने का भी अभिमान नहीं करना चाहिए। जब भी कभी आपके सामने दान देने वालों की घोषणा हो तो आप ताली अवश्य बजाय इससे भी पुण्य का संचय होता है। यह बात पर्युषण पर्व के 8 वें दिन उत्तम त्याग धर्म पर पारसनाथ जैन मंदिर में मुनि विमल सागर महाराज ने धर्म सभा में कही। उन्होंने कहा कि प्रकृति भी त्याग का उपदेश देती रहती है जब जीवन खुली किताब है तो पढऩा क्या ,यह वही शिक्षा देती रहती है। वृक्ष त्याग का उपदेश देता है। कंजूस का धन किसी के काम नहीं आता है। जैसे जंगल के फूल कोई काम के नहीं होते हैं लेकिन गांव और शहर में लगे फूलों की सार्थकता होती है वे सम्मान के काम आते हैं। माला बनती है जो भगवान को चढ़ती है और उन लोगों का भी सम्मान होता है। जिनका समाज के लिए में नाम होता है त्याग धर्म सर्वश्रेष्ठ है। धन दौलत का त्याग अच्छे कार्यों में करना चाहिए। आचार्य विद्यासागर महाराज ने सागर वालों को सर्वतोभद्र जिनालय का बड़ा उपक्रम देकर के गए हैं। आपका दिया हुआ दान हजारों वर्षों तक जीवित रहेगा। मुनि ने कहा यदि गाय दूध का त्याग ना करें तो उसे बहुत पीड़ा होती है मृत्यु तक हो जाती है। उसका दूध अमृत का काम करता है और आपके जीवन को जीवन दान देता है। मुनि ने कहा आठवां दिन त्याग का है, लेकिन 9 वां धर्म आकिंचन का उन्हीं को प्राप्त होता है जो जीवन में राग द्वेश का त्याग करते हैं।