काले हिरण के मामले में वन विभाग की भूमिका संदिग्ध, आरोपियों के बचाव में आ रहे नजर सागर. राहतगढ़. राहतगढ़ क्षेत्र में बीते दिनों काले हिरण के शिकार के मामले में अंतरराज्यीय तार जुडऩे के बाद जिले के वन विभाग के अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है। सूत्रों की माने तो काले हिरण […]
काले हिरण के मामले में वन विभाग की भूमिका संदिग्ध, आरोपियों के बचाव में आ रहे नजर
सागर. राहतगढ़. राहतगढ़ क्षेत्र में बीते दिनों काले हिरण के शिकार के मामले में अंतरराज्यीय तार जुडऩे के बाद जिले के वन विभाग के अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है। सूत्रों की माने तो काले हिरण के शिकार के मामले में मुख्य शिकारी डॉ. वसीम खान समेत दो अन्य आरोपियों से एसटीएफ ने भी पूछताछ की है। पूछताछ में क्षेत्र के तीन और लोगों के नाम शामिल हैं, जिनकी तलाश वन विभाग की टीम ने शुरू कर दी है।
बताया जा रहा है कि शुरुआती जांच में तीनों आरोपियों से एसटीएफ ने एक-एक कर और अलग-अलग भी पूछताछ की है। हर संभव पहलू की बारीकी से जांच करने के बाद टीम की मौजूदगी में ही आरोपियों को मौका-ए-वारदात पर ले जाने की भी बात सामने आई है, ताकि क्राइम सीन को समझ सकें, लेकिन इसमें जिले के वन विभाग की भूमिका संदिग्ध रही। बताया जा रहा है कि एसटीएफ आरोपियों की सीडीआर भी निकाल रही है, ताकि तीन संदिग्ध नए आरोपियों की पहचान हो सके।
बेरखेड़ी बीट के टेहरा टेहरी गांव के जंगलों में काले हिरण का शिकार करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया था। शिकारियों के पास से मादा हिरण का 10 किग्रा मांस और एक 22 बोर की राइफल, 15 जिंदा कारतूस, तीन खाली कारतूस और दो सागौन की सिल्ली बरामद की गईं थीं। दो चार पहिया वाहनों को भी जब्त किया था। आरोपियों में डॉ. वसीम खान, ओमकार आदिवासी और राजू आदिवासी को गिरफ्तार किया था, जिनको 12 दिसंबर तक की रिमांड पर लिया था, लेकिन किसी खास वजह से उन्हें 10 दिसंबर को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।
काले हिरण के मामले में एसटीएफ ने भी पूछताछ की है। आरोपियों की कॉल डिटेल निकाली जा रही है। जल्द ही अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी की जाएगी। जांच-पड़ताल जारी है।
- जयप्रकाश, प्रशिक्षु डीएफओ