शहडोल

चार पीढिय़ों का जुनून… ‘मिनी ब्राजील’ पहुंचे जर्मन कोच डाइटमार बीयर्सडॉर्फ, प्रतिभा देख हुए मुरीद

विचारपुर पहुंचे जर्मन कोच डाइटमार बीयर्सडॉर्फ, बोले- इन्फ्रास्ट्रक्चर बाद में, यहां का जुनून सबसे बड़ी पूंजी

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Nov 25, 2025

शहडोल. चार पीढ़ी से यहां लोग बिना किसी चाहत के फुटबॉल खेल रहे हैं, ऐसा बहुत ही कम देखने मिलता है। फुटबॉल के प्रति उनका यही नि:स्वार्थ प्रेम सराहनीय और प्रेरणादायक है। इस छोटे से मैदान में खेलने वाले खिलाडिय़ों में सीखने की अद्भुत क्षमता है। विषम परिस्थितियों में भी उनका इतना अच्छा प्रदर्शन काबिले तारीफ है। इन्फ्रास्ट्रक्चर तो तैयार हो जाएगा, लेकिन स्टेप बाई स्टेप जो उन्हें सीखने को मिल रहा है वह सबसे महत्वपूर्ण है। यह बातें जर्मन फुटबॉल कोच डाइटमार बीयर्सडॉर्फ ने सोमवार को मिनी ब्राजील विचारपुर में पत्रकारों से चर्चा के दौरान कही।

उन्होंने कहा कि विचारपुर से पांच खिलाड़ी व कोच जर्मनी में प्रशिक्षण के लिए गए थे। उनसे उन्होंने कहा था कि वह विचारपुर आएंगे। खिलाडिय़ों की सीखने की ललक, उनकी सहजता और सरलता उन्हें यहां खींच लाई। यहां तीन वर्ष के बच्चे भी फुटबॉल खेलते हैं, यह जुनून काफी सराहनीय है। यहां के कोच इस छोटे से मैदान में खिलाडिय़ों को इतना बेहतर ट्रेंड कर रहे हैं। खिलाडिय़ों में भी सीखने की अद्भुत क्षमता है। यहां के जो खिलाड़ी प्रशिक्षण के लिए जर्मनी गए थे वह भी और बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं, साथ ही अपने साथी खिलाडिय़ों को भी ट्रेंड कर रहे हैं। खिलाड़ी विषम परिस्थितियों में भी अच्छा सीख रहे हैं। उन्होंने कहा कि मिनी ब्राजील के खिलाडिय़ो में मौजूद समर्पण और लगन उन्हें एक दिन एक अलग पहचान अवश्य दिलाएगी। कोच डाइटमार बीयर्सडॉर्फ के साथ शहडोल पहुंचे फुटबॉल फिलास्फर कौशिक मौलिक ने कहा कि रिमोट एरिया में फुटबॉल का ऐसा जुनून कहीं देखने नहीं मिला। वास्तव में यह बहुत ही सुखद अनुभव है। पूरा गांव फुटबॉल से दिल से जुड़ा हुआ है, उन्हें किसी भी प्रकार की चाह नहीं है। हमने जो विचारपुर में देखा है वह कहीं नहीं है। इन्फ्रास्ट्रक्चर तो कभी भी तैयार हो सकता है लेकिन मन का इन्फ्रास्ट्रक्चर बहुत कम होता है।

खिलाडिय़ों से किया संवाद, परिजनों से भी मिले

मिनी ब्राजील की धरती पर पहुंचने पर जर्मन कोच डाइटमार बीयर्सडॉर्फ, फुटबाल फिलास्पर कौशिक मौलिक एवं मैन्युअल स्केफर का अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक दीवान, छोटे-छोटे फुटबॉल खिलाडिय़ो व कोचों ने भारतीय परंपरा अनुसार हाथ जोडकर अभिवादन व पुष्पगुच्छ भेंटकर भव्य स्वागत किया। जर्मन कोच ने सभी फुटबॉल खिलाडिय़ो व कोचों से परिचय प्राप्त किया और उनके उत्साह, समर्पण और प्रतिभा की सराहना की। इस अवसर पर वह जर्मनी में प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके राष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी वीरेंद्र बैगा, लक्ष्मी सहीस और सानिया कुंडे के घर पहुंचे और उनके अभिभावकों से संवाद किया। उन्होंने खिलाडिय़ों को विदेश भेजने और उनका उत्साह बढ़ाने के लिए अभिभावकों के प्रति आभार व्यक्त किया। जर्मन कोच ने कहा छोटे से गांव से निकलकर इतने होनहार खिलाड़ी देश-विदेश में अपनी प्रतिभा से नाम रोशन कर रहे हैं, यह बेहद गर्व की बात है। अभिभावकों ने भी भारतीय परंपरा के अनुसार हाथ जोडकऱ जर्मन कोच का अभिवादन किया।

Published on:
25 Nov 2025 12:00 pm
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