Rajasthan News: दूसरे राज्यों से आने पर विद्यार्थियों को एडमिशन के लिए हर साल झेलनी पड़ती है परेशानी, राजस्थान के लालसोट में बच्चे का दाखिला अटकने पर पिता की आत्महत्या के बाद आक्रोश
अजय शर्मा
Rajasthan News: एक देश एक चुनाव की सियासत भले ही गर्म हो, लेकिन देश में अभी विद्यार्थियों को एक देश एक बार दाखिला जैसे नवाचार का इंतजार है। लालसोट में एक दिन पहले अपने बेटे का दाखिला अटकने के बाद एक पिता ने जान दे दी। इसके बाद सोशल मीडिया पर अभिभावकों का आक्रोश चरम पर है।
चुनावी समर में युवाओं की ओर से यह मुद्दा बार-बार उठाया गया कि किसी भी राज्य में विद्यार्थियों के दाखिला लेने पर स्वत: ही उसके दस्तावेज किसी एक पोर्टल के जरिए ऑनलाइन हो जाने चाहिए। नई शिक्षा नीति में इसका खाका भी सरकार की तरफ बनाया गया, लेकिन अभी भी विद्यार्थियों को राहत नहीं मिल सकी। सीबीएसई सहित कई बोर्ड की ओर से इस दिशा में नवाचार किया गया है, लेकिन शिक्षा मंत्रालय की केन्द्रीयकृत व्यवस्था के तहत ही विद्यार्थियों को राहत मिल सकती है।
केस 1 : एनओसी की वजह से दो महीने भागदौड़
सीकर निवासी सिद्धार्थ कुमार के पिता बैंक में कार्यरत हैं। पिछले दिनों गुजरात से उनका तबादला जयपुर हो गया। गुजरात से टीसी लेकर आने पर दाखिले के लिए एनओसी मांगी गई। पहले तो गुजरात के स्कूल ने एनओसी देने से मना कर दिया। कई महीनों की मशक्कत के बाद कागजी खानापूर्ति हुई। नतीजा दो महीने तक सिद्वार्थ की पढ़ाई प्रभावित रही।
केस 2 : गांव आए तो बच्चों का आधार सत्यापन अटका
सीकर निवासी रामचरण पिछले चार साल से दिल्ली की एक निजी कंपनी में कार्यरत था। इस साल पारिवारिक जिम्मेदारियों की वजह से सीकर में मजदूरी शुरू कर दी। बच्चों की अंकतालिका और आधार कार्ड में जन्मतिथि अलग-अलग होने की वजह से दाखिला अटक गया। जब आधार में सुधार के लिए प्रार्थना पत्र दिया तो आवास का पता बदलने की वजह से कई महीने भटकना पड़ा।
केस 3 : पापा के तबादले के साथ टेंशन शुरू
जयपुर जिले के निवासी सुरेन्द्र सिंह सेना में कार्यरत हैं। पिछले दिनों जम्मू से उनका तबादला आगरा हो गया। इस दौरान उन्होंने पढ़ाई के लिए बच्चों का दाखिला सीकर के निजी स्कूल में करवा दिया। इस दौरान बोर्ड एनओसी को लेकर कई बार चक्कर लगाने पड़े। उन्होंने बताया हर एक-दो साल में इस तरह की समस्या बच्चों को कई राज्यों में झेलनी पड़ी है।
हर साल राजस्थान में दूसरे राज्यों के औसतन 40 हजार विद्याथी दाखिला लेते हैं। दिल्ली व महाराष्ट्र, गुजरात सहित कई राज्यों में यह आंकड़ा डेढ़ लाख तक है। एक्सपर्ट का कहना है कि शिक्षा मंत्रालय को स्कूली शिक्षा के लिए एक पोर्टल बनाना चाहिए इसमें यदि छात्र किसी भी राज्य में टीसी कटाकर जाता है तो उसका रिकॉर्ड भी ऑनलाइन स्वतः ही चला जाता है। सीबीएसई सहित कई बोर्ड इस तरह का नवाचार कर चुके हैं, लेकिन छोटी कक्षाओं के लिए मंत्रालय को केन्द्रीकृत व्यवस्था के तहत इस तरह का नवाचार करना चाहिए।
अभिभावकों के एक राज्य से दूसरे राज्य में नौकरी करने या तबादले वाले कर्मचारियों को बच्चों के दाखिला कराने में हर एक-दो साल में काफी परेशानी होती है। कई बार एनओसी तो कई बार अन्य दस्तावेजों की वजह से अभिभावकों के साथ विद्यार्थियों को काफी परेशानी होती है। शिक्षा मंत्रालय को इस तरह का पोर्टल बनाना चाहिए जहां विद्यार्थियों का रिकॉर्ड ऑनलाइन हो सके।