मंदिर

शिवनगरी का मार्कण्डेय महादेव मंदिर, यहीं पराजित हुए थे यमराज

Markandeya Mahadev Temple: सावन 2025 शुरू हो गया है तो आइये जानते हैं वाराणसी में महादेव मंदिर के विषय में जहां यमराज को पराजय मिली थी (Temple Varanasi) ..

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Jul 11, 2025
Sawan Mela importance: वाराणसी के मार्कण्डेय महादेव मंदिर की कहानी (Photo Credit: markandeymahadevkaithi website)

Temple Varanasi: हिंदू धर्म में सावन मास का विशेष महत्व है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि समाप्त होने के साथ 11 जुलाई को श्रावण मास आरंभ हो जाएगा। ऐसे में शिवनगरी काशी में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटनी शुरू हो चुकी है। काशी में कई मंदिर है जो विश्व के नाथ और उनके भक्तों के बीच की सुंदर कथा से जुड़े हैं। ऐसा ही एक मंदिर है गंगा-गोमती के पवित्र संगम तट पर बसा मार्कण्डेय महादेव का मंदिर (Markandeya Mahadev Temple)।

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मार्कण्डेय महादेव मंदिर मेला

साल भर इस मंदिर में 'हर हर महादेव' और 'ओम नम: शिवाय' की गूंज सुनाई देती है। सावन माह में तो मानो तिल तक रखने की जगह नहीं होती है। कैथी गांव के पास स्थित मंदिर के पास सावन की शुरुआत के साथ मेला भी शुरू हो जाएगा।

मृत्यु के देवता हुए थे पराजित

इस मंदिर की सबसे खास बात है कि यहां काल या मृत्यु के देवता यमराज भी पराजित हो गए थे। मार्कण्डेय महादेव मंदिर की पौराणिक कथा इसके महत्व को बताती है।

मार्कण्डेय ऋषि की कथा

धार्मिक कथा के अनुसार, ऋषि मृकण्ड की कुंडली में संतान योग नहीं था। इस पर ऋषि ने पुत्र के लिए भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और कहा कि आपके जीवन में संतान योग नहीं है पर तपस्या के कारण आपको संतान मिलेगी, लेकिन आपको गुणी और दीर्घायु पुत्र में से एक चुनना होगा। गुणी पुत्र के चयन के कारण ऋषि पुत्र का जन्म हुआ, लेकिन वो अल्पायु था। इसके अनुसार पृथ्वी पर मार्कण्डेय ऋषि की आयु मात्र 14 वर्ष थी। मृत्यु से पहले पिता को चिंतित देख मार्कण्डेय ऋषि ने कारण पूछा तो उन्होंने वजह बता दी।


इस पर ऋषि मार्कण्डेय ने भगवान भोलेनाथ की आराधना शुरू कर दी। जब मार्कण्डेय 14 वर्ष के हुए और यमराज उनके प्राण लेने आए, तब भोलेनाथ स्वयं प्रकट हुए। शिव ने यमराज को लौटने का आदेश दिया और कहा, "मेरा भक्त सदा अमर रहेगा और उसकी पूजा मुझसे पहले होगी।" यमराज के नियमों का हवाला देने पर युद्ध हुआ और यमराज पराजित हुए और उन्हें लौटना पड़ा। तभी से यह स्थल मार्कण्डेय महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हो गया।

मार्कण्डेय मंदिर के अनुष्ठान

सावन में इस मंदिर का महत्व और बढ़ जाता है। यहां त्रयोदशी (तेरस) के दिन विशेष पूजा होती है, जहां भक्त पुत्र प्राप्ति और पति की लंबी आयु की कामना करते हैं। महामृत्युंजय जाप, शिवपुराण, रुद्राभिषेक और सत्यनारायण कथा का आयोजन भी होता है। महाशिवरात्रि पर दो दिनों तक अनवरत जलाभिषेक की परंपरा है।

श्रीराम का नाम बेलपत्र पर लिखकर चढ़ाने से संतान होती है दीर्घायु

धार्मिक मान्यता है कि बेलपत्र पर महादेव के आराध्य श्रीराम का नाम लिखकर अर्पित करने से संतान की आयु लंबी होती है और यम का त्रास भी नहीं रहता।

सावन में लगता है श्रद्धालुओं का तांता

उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट पर भी इस प्राचीन मंदिर का उल्लेख मिलता है, जिसके अनुसार, मार्कण्डेय महादेव मंदिर शिव की असीम कृपा का प्रतीक है। सावन में कांवड़ियों की भीड़ से काशी की यह शिवनगरी और जीवंत हो उठती है।

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