सर्वसम्मति से बेदला ग्राम पंचायत क्षेत्र को नगर निगम में शामिल करने का प्रस्ताव पारित किया।
पिछले छह साल से बेदलावासियों के पट्टे नहीं बन पा रहे। सफाई व्यवस्था चौपट है। मैरिज गार्डन की मंजूरी नगर निगम की ओर से दी जा रही है तो अन्य स्वीकृतियों के लिए उदयपुर विकास प्राधिकरण (यूडीए) के चक्कर लगाने पड़ते हैं। आखिरकार आमजन कहां-कहां जाए। यह पीड़ा क्षेत्रवासियों ने गुरुवार को बेदला ग्राम पंचायत परिसर में आयोजित हुई Òजन चौपालÓ में व्यक्त की। लोगों ने एक स्वर में कहा तमाम तरह की समस्याओं के लिए उन्हें अलग-अलग एजेंसियों के चक्कर ना लगाना पड़े, इसके लिए आगामी नगर निगम चुनाव से पहले बेदला को निगम की सीमा में शामिल किया जाए।राजस्थान पत्रिका की ओर से शहरीकृति हो चुके यूडीए पेराफेरी के इलाकों को नगर निगम की सीमा में शामिल करने के लिए चलाए जा रहे अभियान Òनिगम मांगे विस्तार, सुविधाओं की दरकारÓ से प्रेरित होकर बेदलावासियों ने Òजन चौपालÓ आयोजित की। जिसमें उन्होंने स्थानीय लोगों के समक्ष आ रही विभिन्न समस्याओं को मुखरता से उठाते हुए सर्वसम्मति से बेदला ग्राम पंचायत क्षेत्र को नगर निगम में शामिल करने का प्रस्ताव पारित किया। यह प्रस्ताव जिला प्रशासन को सौंपा जाएगा। सरपंच निर्मला प्रजापत की अध्यक्षता में हुई चौपाल ने लोगों ने कहा कि बेदला अब किसी भी दृष्टि से गांव नजर नहीं आता। समता नगर, प्रियदर्श नगर सहित तमाम कॉलोनियों में बहुमंजिला इमारतें खड़ी है। शहर सी कॉलोनियां विकसित हो रही है। लेकिन किसी एक एजेंसी के क्षेत्राधिकार में नहीं होने से आमजन को कई विसंगतियों का सामना करना पड़ रहा है। जन चौपाल का संचालन पूर्व सरपंच नरेश प्रजापत ने किया। पूर्व वार्ड पंच सुशीला आचार्य, प्रभुलाल वर्मा, मोहनलाल शर्मा, मनोहरी देवी राजपूत आदि ने भी विचार रखे।
बेदलावासी कई परेशानियों का सामना कर रहे हैं। यूडीए में हम पंचायत काम के लिए घंटों बैठे रहते हैं, लेकिन अधिकारियों की ओर से तवज्जो नहीं दी जाती। आम लोग समझ नहीं पाते कि अपने काम के लिए आखिर पंचायत में जाएं, यूडीए या फिर नगर निगम। अलग-अलग काम के लिए भिन्न-भिन्न एजेंसियों के पास जाना होता है। जो आमजन के लिए संभव नहीं हो पाता। इन सब समस्याओं का एक ही समाधान हो सकता है कि बेदला को नगर निगम में शामिल किया जाए।
- निर्मला प्रजापत, सरपंच, बेदला
बेदला में अब गांव जैसा कुछ नहीं है। कई बहुमंजिला इमारतें है। सुनियोजित कॉलोनियां बन रही है। गांव की आधी से ज्यादा आबादी भूमि यूडीए के क्षेत्राधिकार में हैं। लोगों को पट्टों के लिए परेशान होना पड़ रहा है। पंचायत के पास पट्टे देने का अधिकार नहीं है। तमाम तरह की विसंगतियां लोगों को झेलनी पड़ रही है। इन समस्याओं के समाधान के लिए क्षेत्र का नगर निगम में शामिल होना जरूरी है।
- जय शंकर भोई, उप सरपंच, बेदला
बेदला कई विसंगतियों में उलझा हुआ है। हम लोग मावली विधानसभा के लिए वोट देते हैं, लेकिन वहां के जनप्रतिनिधि यहां आकर तक नहीं देखते। गंदगी सबसे बड़ी समस्या है। कचरा गाड़ी आती नहीं है। हमारी कॉलानी में साठ फीट की प्रस्तावित सड़क है, जो बन नहीं पा रही है। बड़गांव से भुवाणा सड़क भी अटकी हुई है। जो कॉम्पलेक्स बन रहे हैं, उनमें सीवरेज को बोरवेल करके जमीन के अंदर डाला जा रहा है। सीवरेज निस्तारण अपने आप में बड़ी समस्या है।
- राजेंद्र सिंघवी, प्रियदर्श नगर, बेदला
बेदला एतिहासिक दृष्टि से काफी समृद्ध गांव रहा है। आज जब एक किमी परिधि का चक्कर लगाते हैं तो यूं लगता है, जैसे अशोक नगर या भूपालपुरा में घूम रहे हो। बड़े-बड़े मॉल, शॉपिंग सेंटर बन गए हैं। अब यहां गांव का परिदृश्य कहीं नहीं दिखता। लेकिन इसके बावजूद यहां का आमजन अपने आप को ठगा सा महसूस करता है। यहां कई पीढि़यों से रह रहे लोगों को पट्टे नहीं मिल पा रहे हैं। यहां से गुजर रही आयड़ नदी को संवारा जाए। स्मार्ट सिटी में शामिल कर विकास किया जाना चाहिए।
- डॉ. गुणवंत सिंह देवड़ा, सेवानिवृत्त आयुर्वेद चिकित्साधिकारी, बेदला
बेदला का आमजन बहुत दुखी है। पट्टे के लिए पंचायत में जाते हैं तो यूडीए भेजा जाता है। यूडीए वाले पंचायत में भेजते हैं। हमारे हाल ऐसे हैं कि बेदला दिखता शहर जैसा है, लेकिन शहर के माफिक सुविधाएं यहां नहीं है। हम तो यही चाहते हैं कि इसे जितना जल्दी हो सके नगर निगम में शामिल किया जाए ताकि लोगों को परेशानियों से निजात मिल सके। कम से कम अलग अलग दफ्तरों के चक्कर लगाने से तो मुक्ति मिले।
- भैरू सिंह पंवार, निदेशक, सुखदेवी सेवा संस्थान
हम जब आए थे तो यहां प्रियदर्शी नगर में घर लिया था। हमें लगता था कि समय के साथ-साथ सुविधाएं बढ़ेगी। लेकिन हुआ इससे उल्टा। हमें अपना कचरा गाड़ी में रखकर दूसरी जगह डालकर आना पड़ता है। कॉलोनी के अंदर से निकल रही रोड पर भारी यातायात गुजरता है। हमारे बच्चे बाहर नहीं निकल पाते। हम समझ ही नहीं पाते किस समस्या के लिए किसके पास जाएं।
- नीतू टांक, प्रियदर्शी नगर, बेदला
बेदला कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है। शहर से यहां तक आने जाने के लिए साइफन चौराहे तक तो सिटी बसें आती है। लेकिन वो आगे नहीं आती। सिटी बसें बेदला माता तक संचालित होनी चाहिए। आवारा पशुओं की समस्या भी बड़ी है। यदि बेदला नगर निगम में शामिल होता है, तो दोनों समस्याओं का समाधान हो सकता है। सिटी बसें भी यहां आने लगेंगी और कायन हाउस या गोशाला बनाकर आवारा पशुओं की समस्या से भी निजात मिल सकेगी।
- गणपत सोनी, अध्यक्ष, नवयुवक मंडल, बेदला