प्रदेश में 77 कम्पनियां चला रही 81 हजार ई-मित्र, कमिशन कम होने से संचालक ज्यादा वसूलते राशि
उदयपुर. शहर सहित हर गांव-ढाणी में ई-मित्र संचालित हो रहे हैं। दूर दराज के क्षेत्र में संचालित केंद्र तो आमजन के लिए बेहतर साबित हो रहे हैं, जबकि शहर-कस्बे के कई ई-मित्र केंद्रों पर ज्यादा वसूली की शिकायतें आम है। सबसे ज्यादा परेशानी प्रतियोगी परीक्षाओं के आवेदन करने वाले युवाओं के साथ होती है, जिन्हें परीक्षा शुल्क के अलावा ई-मित्र संचालक की भारी फीस भी वहन करनी पड़ती है। राजस्थान पत्रिका टीम ने शहर के कई ई-मित्र केंद्रों पर पड़ताल की तो यह िस्थति सामने आई।जानकार बताते हैं कि इसकी बड़ी वजह भी सामने आती है कि हर वर्ग और सेवाओं की दरें बदलती है, लेकिन ई-मित्र संचालकों का कमिशन पिछले 5 साल से नहीं बढ़ा। बिजली-पानी के बिल सहित कुछ सर्विसेज ऐसी है, जिनका कमिशन शुरुआत से लेकर अब तक वही है। साल दर साल सेवाएं जुड़ती गई, लेकिन कमिशन दरों में कभी बदलाव नहीं आया।
जरुरतमंद ज्यादा शिकारकुछ ई-मित्र कियोस्क संचालकों की ओर से पेंशन आदि भुगतान के काम में धोखाधड़ी के मामले भी सामने आते रहे हैं। अमूमन अंगूठा छाप या कम पढ़े लिखे लोग भी धोखाधड़ी के शिकार ज्यादा हाते रहे हैं। कई मामलों में पुलिस केस दर्ज होना भी सामने आता रहा है। हालांकि पिछले सालों में सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से सख्ती भी बरती जाने लगी है।
प्रदेश में यह जानें स्थिति
81641 : ई-मित्र कियोस्क संचालित है प्रदेश में
77 : कम्पनियों के तहत संचालित है ई-मित्र
592 : तरह की सेवाएं देते हैं ई-मित्र संचालक
1.25 : लाख ट्रांजेक्शन प्रतिदिन होती है
प्रदेश में संचालित ई-मित्र केंद्र
जिला - कियोस्क संख्या
अजमेर - 3315
अलवर - 3929
बारां - 1608
बाड़मेर - 3132
भरतपुर - 3012
बीकानेर - 2486
बूंदी - 1558
चुरू - 2660
दौसा - 2101
धौलपुर - 1306
हनुमानगढ़ - 2475
जयपुर - 7595
जैसलमेर - 725
जालौर - 1883
झालावाड़ - 2076
झुंझुनूं - 2712
जोधपुर - 4017
करौली - 1650
कोटा - 2446
नागौर - 3775
पाली - 2301
स. माधोपुर - 1735
सीकर - 3543
सिरोही - 949
श्रीगंगानगर - 2421
टोंक - 1896
मेवाड़-वागड़ की हिस्सेदारी 18 प्रतिशत
जिला - ई-मित्र कियोस्क
उदयपुर - 3097
राजसमंद - 1323
चित्तौडग़ढ़ - 1963
भीलवाड़ा - 3127
बांसवाड़ा - 2108
डूंगरपुर - 1519
प्रतापगढ़ - 1198
इनका कहना...
ई-मित्र कियोस्क संचालकों की ओर से बहुत अधिक राशि विसूलना गलत है। ऐसे में आमजन को शिकायत करनी चाहिए। शिकायत पर विभाग संचालक की आईडी ब्लॉक कर देता है। गंभीर मामलों में तो ब्लैक लिस्टेड भी किए जाते हैं। एक बात ये भी कि हर वर्ग की दरों में बदलाव आता है, ई-मित्र संचालकों का कमिशन सालों से नहीं बढ़ा। कई केंद्र संचालकों का तो दुकान खर्च भी कमिशन से नहीं निकलता। सरकार को इस पर पॉलिसी बनाने की जरुरत है।
लोकेश खंडेलवाल, चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर, अक्स ऑप्टीफाइबर