विश्व संग्रहालय दिवस पर विशेष: हमारी आहड़ सभ्यता 4000 वर्ष पूर्व की
उदयपुर. हमारा शहर ऐतिहासिक धरोहरों, झीलों, प्राकृतिक सौंदर्य और स्थापत्य कला को लेकर विश्व प्रसिद्ध है। यहां चार हजार वर्ष पूर्व की आहड़ सभ्यता है और उस काल के कई महत्वपूर्ण औजार, बर्तन आदि यहां मौजूद है। ऐसे में प्रतिवर्ष यहां लाखों स्टूडेंट के साथ ही 10 से 11 हजार पर्यटक आते हैं।
उदयपुर का आहड़ संग्रहालय एक प्रमुख ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थल है। इसमें यहां मौजूद टीलों की खुदाई में मिले प्राचीन अवशेष मिट्टी के बर्तन, पत्थर के ढेर, तांबे के उपकरण आदि को संग्रहालय बनाकर संरक्षित किया गया है। यहां कई मूर्तियां नारी की खंडित मृण मूर्तियों में कीमती उपकरणों का प्रयोग किया है। इसके साथ ही प्राचीन सिक्के भी प्रदर्शित हैं। आहड़ काल में तांबे और लोहे के उपकरण उपयोग में लिए जाते थे। ऐसे में यहां तांबे की कुल्हाड़ियां, मुद्राएं और मुहरें भी मिली है। साथ ही मिट्टी के छोटे-बड़े बर्तन और उनके अवशेष भी यहां मौजूद है। इनमें अनाज भंडारण के बड़े बर्तन और रसोई में काम आने वाले छोटे बर्तनों के साथ ही टेराकोटा पर बनी आकृतियां भी है। धूलकोट के टीले पर आहड़ सभ्यता के समय के मकानों के अवशेष भी है।
आहड़ सभ्यता को देखने के लिए प्रतिवर्ष 10 से 11 हजार पर्यटक यहां आते हैं। जबकि उदयपुर में चार से पांच लाख पर्यटक प्रतिवर्ष आते हैं। ऐसे में अन्य दर्शनीय स्थलों के साथ ही आहड़ संग्रहालय का प्रचार-प्रसार किया जाए तो निश्चित रूप से यहां पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी होगी।
वर्ष : पर्यटकों की संख्या
2021-22 : 5927
2022-23 : 11600
2023-24 : 11000
2024-25 : 10000