मधुसूदन शर्माउदयपुर. प्रदेश में मतदाताओं की संख्या में तो लगातार इजाफा हो रहा है, लेकिन उसके अनुरूप मतदाता जनसंख्या अनुपात में आशा के अनुरूप वृदि्ध नहीं हो पा रही है। निर्वाचन आयोग चुनाव से पूर्व मतदान के प्रति जागरूक करने को लेकर नवाचार किए जाते हैं, उन्हे मतदान का महत्व बताया जाता है लेकिन मतदाता लिंगानुपात […]
मधुसूदन शर्मा
उदयपुर. प्रदेश में मतदाताओं की संख्या में तो लगातार इजाफा हो रहा है, लेकिन उसके अनुरूप मतदाता जनसंख्या अनुपात में आशा के अनुरूप वृदि्ध नहीं हो पा रही है। निर्वाचन आयोग चुनाव से पूर्व मतदान के प्रति जागरूक करने को लेकर नवाचार किए जाते हैं, उन्हे मतदान का महत्व बताया जाता है लेकिन मतदाता लिंगानुपात पर गौर करें तो इसमें आशातीत वृदि्ध नहीं हो पाना चिंता का विषय बना हुआ है। निर्वाचन आयोग के अनुसार राज्य में 2004 के लोकसभा चुनाव में लिंगानुपात 914 था, लेकिन इपिक रेश्यो 575 ही रहा, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में लिंगानुपात 920 पर पहुंचा और इपी रेश्यो 623 पर जा पहुंचा। यानी की बीस साल में केवल 48 अंक के साथ इपी रेश्यो बढ़ पाया है। जो कि बहुत ही कम है। 2019 के लोकसभा चुनाव में 2 करोड़ 55 लाख 60 हजार 328 पुरुष मतदाता और 2 करोड़ 33 लाख 95 हजार 485 महिला मतदाता थीं। कुल मतदाता 4 करोड़ 89 लाख 55 हजार 813 थे। पिछले चार लोकसभा चुनाव की बात करें तो इपिक रेश्यो में लगातार वृदि्ध दर्ज की गई, लेकिन ये आशा के अनुरूप नहीं है। वर्ष 2004 से लेकर 2019 के लोकसभा का आंकलन करें तो लिंगानुपात में 6 अंकों की बढोतरी दर्ज की गई,
राजस्थान की बात करें तो यहां का लिंगानुपात 928 प्रति हजार है। जबकि मतदाता सूची में लिंगानुपात 920 है। वर्तमान में लोकसभा चुनाव में 5 करोड़ 30 लाख 68 हजार 605 मतदाता मतदान करेंगे। इनमें इनमें 2 करोड़ 76 लाख 2057 पुरुष मतदाता और 2 करोड़ 54 लाख 66 हजार 548 मतदाता शामिल हैं। वर्ष 2019 से इन मतदाताओं की तुलना करें तो ये संख्या 41 लाख 12 हजार 792 बढ़ी है। लेकिन जनसंख्या मतदाता इसके अनुरूप नहीं बढ़ पाया है।
निर्वाचन आयोग के आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में लिंगानुपात में 7 अंक की गिरावट दर्ज की गई। इस समय लिंगानुपात 900 दर्ज किया गया। जबकि 2014 में ये 917 था।
| वर्ष | लिंगानुपात | इपिक रेश्यो |
| 2004 | 914 | 575 |
| 2009 | 917 | 549 |
| 2014 | 900 | 589 |
| 2019 | 920 | 623 |
वर्ष 2009 में प्रदेश के 25 लोकसभा क्षेत्रों में से सिर्फ 6 लोकसभा क्षेत्र ही ऐसे थे जिनमें मतदाता लिंगानुपात राज्य के जनसंख्या लिंगानुपात से बेहतर था। प्रदेश के 19 लोकसभा क्षेत्रों में पुरुषों की तुलना में महिला मतदाताओं की स्थिति काफी चिंताजनक रही। करौली-धौलपुर में प्रति एक हजार मतदाताओं पर 167 महिलाएं वोट से वंचित रह गईं। यहां एक हजार पुरुष मतदाताओं पर सिर्फ 833 महिलाओं को ही मताधिकार का अधिकार मिला।