-देशभर से जुटे कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञ
अनुराग मिश्रा!नई दिल्ली: प्रगति मैदान में आयोजित 'इंटरनेशनल एग्रीकल्चर एंड हॉर्टी एक्स्पो- 2024' में देशभर से जुटे कृषि क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ, अलग अलग सेक्टर के स्टेक होल्डर और किसानों ने देश में व्यापक स्तर पर ऑर्गेनिक फार्मिंग और हॉर्टिकल्चर को बढ़ावा देने की जोरदार पैरवी की।
कार्यक्रम में संबंधित विषय पर अपना विचार रखते हुए आमंत्रित 'गेस्ट ऑफ़ ऑनर' के रूप में मौजूद पालम-360 के प्रधान चौधरी सुरेंद्र सोलंकी ने कहा कि हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है और किसानों की तरक्की और खुशहाली में ही देश की तरक्की और मजबूती है। इसलिए हमारे देश में कृषि क्षेत्र को किस तरीके से लाभकारी बनाया जा सके, इस पर सरकार, समाज और संगठन..सबको मिलजुल कर काम करने की आवश्यकता है। आज खेती में बढ़ती लागत और घटते मुनाफे के कारण किसान परिवार मुश्किल से गुजर रहे हैं। मौसम और सिस्टम दोनों की मार से किसान कर्ज के बोझ तले दबे जा रहे हैं ! देश हित में इस पर ध्यान देने और लगातार काम करने की जरूरत है।
-छोटे और लघु किसानों को भी खेती किसानी की नई नई विधाओं का ज्ञान हो-नरेश टिकैत
कार्यक्रम में मौजूद भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि -दिल्ली के प्रगति मैदान में यह कार्यक्रम आयोजित हुआ है, जिसमें देश भर के किसान और कृषि क्षेत्र से जुड़े लोग मौजूद हैं। मगर इस तरीके का कार्यक्रम देश के हर हिस्से में बड़े पैमाने पर चलाए जाने चाहिए। छोटे और लघु किसानों को भी खेती किसानी की नई नई विधाओं का ज्ञान हो, इसके लिए सबको प्रयास करना चाहिए।
कृषि वैज्ञानिक राजीव कुमार में कहा कि बदलते दौर में देश भर के किसानों को ऑर्गेनिक फार्मिंग, मल्टी क्रॉपिंग और हॉर्टिकल्चर जैसे बेहतर संभावनाओं के प्रति अधिक से अधिक जागरूक करने की जरूरत है। केंद्र हो या राज्य की सरकार हों, कृषि और किसानों के प्रति निवेश और सहयोग को अधिक से अधिक बढ़ावा देने की जरूरत है। खासतौर से देश के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि क्षेत्र से जुड़ी नई-नई तकनीक और तरीकों को बढ़ावा देने की पहल गंभीरता से होनी चाहिए। संख्या बल के हिसाब से कृषि हमारी अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा रोज़गार क्षेत्र भी है, इसलिए सरकार को इसे देश के आर्थिक उन्नति के अवसर में बदलने के लिए भरपूर प्रयास करने होंगे।
कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले विशेषज्ञों ने कहा कि देश में किसान आंदोलन का सबसे प्रमुख मुद्दा रहे MSP को लेकर भी चौधरी सुरेंद्र सोलंकी ने कहा कि किसान को कर्ज के कुचक्र से बचाने के लिए उसकी लागत और मेहनत का उचित मूल्य मिलना ही चाहिए। इसके लिए न सिर्फ उचित MSP तय होना चाहिए बल्कि सरकार द्वारा निर्धारित फसलों की एमएसपी (MSP) किसान को मिले, इसकी भी लीगल गारंटी होनी चाहिए। कोई भी सरकार हो उसे यह समझना होगा कि किसान को अपने फ़सल पर MSP मिलना उसका अधिकार है, कोई उपकार नहीं !