चिप लगाए जाने के 100 दिन पूरे होने पर अब कंपनी ने स्वीकार किया है कि चिप लगाने कुछ सप्ताह बाद इसमें खराबी आई थी। कुछ डेटा नष्ट हो गया क्योंकि इम्प्लांट के कई थ्रेड उखड़ गए।
क्या आप सोच सकते हैं कि किसी इंसान के दिमाग में चिप भी लगाई जा सकती है और वो भी दिमाग के ऊतकों को बाल से भी महीन इलेक्ट्रिक धागों से जोड़कर। लेकिन जब 100 दिन बाद इस चिप के डेटा को चेक किया तो हर किसी की आंखें फटी की फटी रह गई। दरअसल इस चिप में स्टोर किया जा रहा पूरा डेटा उड़ चुका था। आपको जानकर हैरानी होगी कि ये चिप इंसान के दिमाग को और भी ज्यादा मजबूत करने के लिए लगाई गई थी। ये काम किया था टेस्ला मालिक एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक कॉर्पोरेशन ने…
ब्रेन टेक्नोलॉजी से जुड़ी इस कंपनी ने पिछले महीने क्वाड्रिप्लेजिक यानी हाथ-पैरों में पक्षाघात (पैरालिसिस) वाले व्यक्ति नोलेंड आरबॉग में चिप प्रत्यारोपित किया था। चिप लगाए जाने के 100 दिन पूरे होने पर अब कंपनी ने स्वीकार किया है कि चिप लगाने कुछ सप्ताह बाद इसमें खराबी आई थी। कुछ डेटा नष्ट हो गया क्योंकि इम्प्लांट के कई थ्रेड उखड़ गए। कंपनी ने इस बात की जानकारी एक ब्लॉग पोस्ट के जरिए दी। हालांकि, कंपनी ने यह भी कहा कि इस समस्या को एक सॉफ्टवेयर के जरिए सही कर दिया गया था। इसके बाद चिप ने बेहतर काम किया और नोलेंड ने अपने शुरुआती प्रदर्शन को पीछे छोड़ दिया। कंपनी का दावा है कि सूचना की मात्रा घटने के बावजूद नोलेंड ब्रेन कंट्रोल का विश्व रेकॉर्ड बनाने जा रहे हैं।
डिवाइस को जनवरी 2024 में प्रत्यारोपित किया गया था और न्यूरालिंक ने मार्च में नोलेंड के साथ एक लाइव वीडियो स्ट्रीम किया था। कंपनी ने कहा था कि सर्जरी 'बेहद अच्छी' रही। चिप का उद्देश्य इंसान के दिमाग को ज्यादा ताकतवर बनाना था। चिप से जुड़े कुछ महीन इलेक्ट्रोड थ्रेड (बहुत बारीक वायर) को दिमाग के टिशू (ऊतकों) से जोड़ा गया था। चिप में 64 थ्रेड 1,024 इलेक्ट्रोड का उपयोग करके तंत्रिका संकेतों को रिकॉर्ड करते हैं जो 'मानव बाल से भी पतले' हैं। चिप लगने के कुछ हफ्ते बाद ही यह थ्रेड दिमाग के टिशू से हटने शुरू हो गए थे, कंपनी के अनुसार इससे कुछ डेटा नष्ट हो गया और सूचनाएं घट गई।
ब्लॉग पोस्ट में कंपनी ने मरीज के साथ 100 दिनों के अनुभव को बताते हुए कहा कि हाथ-पैरों से लकवाग्रस्त नोलेंड 4.8 बिट्स प्रति सेकंड का मानव-मस्तिष्क कम्प्यूटर इंटरफेस कर्सर नियंत्रण हासिल कर लिया। अपनी सर्जरी के बाद के हफ्तों में नोलेंड ने अपने लैपटॉप को विभिन्न स्थितियों से नियंत्रित करने की क्षमता हासिल की है। नोलेंड अपने दिमाग से कर्सर का उपयोग करके वीडियो गेम और ऑनलाइन गेम खेल रहे हैं और लाइव स्ट्रीम कर रहे हैं।
न्यूरालिंक के को-फाउंडर बेंजामिन रापोपोर्ट अब कंपनी से अलग हो गए हैं। ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस बनाने वाली न्यूरालिंक से अलग होते हुए उन्होंने इसकी सेफ्टी पर भी सवाल उठाया है। पेशे से न्यूरोसर्जन रापोपोर्ट का कहना है कि मेडिसिन और टेक्नोलॉजी को मिलाने में सुरक्षा पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। न्यूरालिंक छोटे-छोटे इलेक्ट्रोड का इस्तेमाल दिमाग तक जानकारी पहुंचाने के लिए करता है, रापोपोर्ट का मानना है कि इससे दिमाग को नुकसान पहुंच सकता है।