विदेश

भारत-चीन रिश्तों को नई दिशा देने की कोशिश में जुटे हैं दोनों देश: जयशंकर

India-China Foreign Ministers Meeting 2025: भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच हुई बैठक में रिश्तों को बेहतर बनाने पर ज़ोर दिया गया।

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Jul 14, 2025
भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच हुई बैठक। (फोटो क्रेडिट: IANS.)

India-China Foreign Ministers Meeting 2025: भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ एक अहम बैठक (Jaishankar Wang Yi meeting) की। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत-चीन रिश्तों (India-China diplomatic relations) को बेहतर बनाने के लिए दोनों देशों को दूरदर्शी सोच अपनानी होगी। एस जयशंकर ने बताया कि अक्टूबर 2024 में कज़ान में दोनों देशों के नेताओं की मुलाकात (Kazan summit 2024) के बाद से भारत और चीन के संबंध धीरे-धीरे सुधार की दिशा में बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि अब हमारी जिम्मेदारी है कि इस सकारात्मक गति को बरकरार रखें। जयशंकर ने यह भी बताया कि हाल के महीनों में भारत और चीन (India-China border talks) के नेताओं को कई अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों में मिलने और रणनीतिक मुद्दों पर बात करने का मौका मिला है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अब इस तरह की बातचीत नियमित रूप से (Foreign policy India China)होगी, और दोनों देशों में आमने-सामने मुलाकातें भी बढ़ेंगी।

जयशंकर की टिप्पणी पर क्या बोले रणनीतिक जानकार ?

विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर के इस बयान को कूटनीतिक हलकों में एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह संदेश साफ है-भारत चीन से टकराव नहीं, लेकिन स्पष्टता और स्थिरता चाहता है। दक्षिण एशिया मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि "दूरदर्शी दृष्टिकोण" की बात करते हुए जयशंकर ने चीन को यह बताने की कोशिश की है कि भरोसे की बहाली तभी संभव है जब सीमावर्ती तनाव और संदेह दूर किए जाएं।

क्या आगे कुछ ठोस कदम उठाए जाएंगे ?

बैठक के बाद यह अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले महीनों में भारत और चीन के बीच सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर वार्ताएं फिर से तेज हो सकती हैं। सूत्रों के अनुसार, दोनों पक्ष LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) से जुड़ी समस्याओं को बातचीत से हल करने को लेकर नए दौर की योजना बना रहे हैं। वहीं, व्यापार और निवेश से जुड़े मुद्दों पर भी द्विपक्षीय संवाद की संभावना जताई जा रही है।

रूस की पृष्ठभूमि में क्यों अहम थी यह बैठक ?

इस बैठक का एक दिलचस्प साइड एंगल यह भी है कि भारत और चीन के नेताओं की पिछली मुलाकात रूस के कज़ान शहर में हुई थी, जो कि BRICS जैसे मंचों पर दोनों देशों की सक्रियता को दिखाता है। रूस की भूमिका अब इन दोनों पड़ोसी देशों के बीच ‘सेतु’ की तरह देखी जा रही है, जो बातचीत और सहयोग को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।

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