Putin Modi Summit 2025: रूस के राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा व उनका मोदी के साथ भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन महत्वपूर्ण है।
Putin Modi Summit 2025: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दो दिन की आधिकारिक भारत यात्रा भारत और रूस के लिए अहम है। उनका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन (Putin Modi Summit 2025) होगा। दोनों नेता एक-दूसरे से बहुत करीबी माने जाते हैं, लेकिन यूक्रेन युद्ध की वजह से इस मुलाकात पर दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। भारत ने कभी भी रूस (India Russia Summit) की निंदा नहीं की और न ही पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों में शामिल हुआ। दूसरी तरफ भारत यूक्रेन के साथ भी मानवीय मदद और बातचीत का रास्ता खुला रखता है। यही वजह है कि भारत (Putin India Visit December 2025) को दोनों पक्षों के बीच संतुलन बनाए रखने की कला आती है। भारत यह साफ कर चुका है कि वह किसी के दबाव में अपनी विदेश नीति नहीं बदलता।
इस दौरे में रक्षा, ऊर्जा, व्यापार और परमाणु सहयोग पर बड़े समझौते होने की उम्मीद है। खासकर S-400 मिसाइल सिस्टम की बची डिलीवरी, ब्रह्मोस मिसाइल का और निर्यात, कुदनकुलम न्यूक्लियर प्लांट के नए यूनिट और रुपे-मीर पेमेंट सिस्टम को जोड़ने जैसे मुद्दे अहम हैं। भारत रूस से सस्ता कच्चा तेल भी लगातार खरीद रहा है, जिससे दोनों देशों का व्यापार पिछले तीन साल में रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गया है। इधर चीन ने इस दौरे का स्वागत किया है क्योंकि वह भी रूस के साथ खड़ा है।
अमेरिका और यूरोपीय देश चुप हैं, लेकिन पर्दे के पीछे नाराजगी जाहिर कर रहे हैं।
ध्यान रहे कि यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने पिछले साल ट्वीट कर कहा था– “जो देश आक्रमणकारी से गले मिलते हैं, वे शांति के दुश्मन हैं।” साल 2024 में मोदी के रूस दौरे (8-9 जुलाई 2024) पर जेलेंस्की ने बयान दिया था। उस समय कीव में रूसी हमला हुआ था और उसी दिन मोदी-पुतिन गले मिले थे, इसलिए जेलेंस्की बहुत नाराज़ थे। उनकी इस सोच और नजरिये को मौजूदा दौरे के संदर्भ में भी देखा जा रहा है।
ऐसी संभावना है कि साल 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार 100 अरब डॉलर करने का लक्ष्य भी तय हो सकता है। दरअसल पुतिन पिछले डेढ़ साल से किसी बड़े पश्चिमी या तटस्थ देश की यात्रा पर नहीं गए थे। भारत ही एकमात्र बड़ा देश है जिसने अभी भी उन्हें पूरे सम्मान के साथ बुलाया है। यह भारत की स्वतंत्र विदेश नीति की सबसे बड़ी जीत मानी जा रही है।
दोस्ती का यह रिश्ता 75 साल से भी पुराना है और यूक्रेन युद्ध के बावजूद दोनों देश इसे और मजबूत बनाने में जुटे हैं। पुतिन की इस यात्रा से साफ हो गया है कि भारत-रूस की जोड़ी पर किसी बाहरी दबाव का असर नहीं पड़ता। वे 4 दिसंबर 2025 को शाम 6:35 बजे नई दिल्ली पहुंच रहे हैं। उनकी यात्रा के मद्देनजर पुख्ता सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं। पुतिन 5 दिसंबर को सुबह राजघाट पर श्रद्धांजलि देंगे, फिर हैदराबाद हाउस में प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत होगी।