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दुनिया में पहली बार मिर्गी का सफल इलाज, बच्चे की खोपड़ी में डिवाइस लगाकर किया ठीक

Epilepsy: इस बच्चे को 3 साल की उम्र से रोजाना दौरे पड़ रहे थे। उसकी मां जस्टिन नॉल्सन ने बताया कि दौरे पडऩे पर ओरान कभी जमीन पर गिर जाता था, कभी जोर से हिलने लगता था और कई बार बेहोश हो जाता था। कभी-कभी उसकी सांसें उखडऩे लगती थीं।

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Successful treatment of epilepsy by installing a device in a child skull

Epilepsy: मिर्गी की बीमारी को अब तक लाइलाज माना जाता था लेकिन अब इस बीमारी को जड़ से खत्म करने का इलाज मिल गया है। जी हां, अब मिर्गी की बीमारी को बिल्कुल ठीक किया जा सकता है। ब्रिटेन (Britain) में इस बीमारी का सफल इलाज होने का ये दुनिया का पहला मामला बन गया है। यहां पर डॉक्टर्स ने मिर्गी से पीड़ित एक 13 साल के बच्चे को बिल्कुल ठीक कर दिया। डॉक्टर्स ने एक डिवाइस बच्चे के सिर में लगाई, जिससे वो बिल्कुल ठीक हो गया। ब्रिटेन के डॉक्टर्स का कहना है कि ये डिवाइस मिर्गी के दौरे को रोकने के लिए 80 प्रतिशत तक कारगर है। 

द गार्जिएन की रिपोर्ट के मुताबिक सर्जरी के दौरान बच्चे की खोपड़ी में न्यूरोस्टिम्यूलेटर (Neurostimulator) नाम का डिवाइस प्रत्यारोपित किया गया, जो दिमाग में सिग्नल भेजता है। मिर्गी के मरीजों के लिए यह उम्मीद की नई किरण है।

3 साल की उम्र से रोजाना पड़ रहे थे दौरे (Epilepsy)

इस बच्चे का नाम ओरान नॉल्सन है। जिसे लेनोक्स-गैस्टोट सिंड्रोम (Lennox-Gastaut Syndrome) नाम की मिर्गी बीमारी है। इसे 3  साल की उम्र से रोजाना दौरे (Epilepsy) पड़ रहे थे। उसकी मां जस्टिन नॉल्सन ने बताया कि दौरे पडऩे पर ओरान कभी जमीन पर गिर जाता था, कभी जोर से हिलने लगता था और कई बार बेहोश हो जाता था। कभी-कभी उसकी सांसें उखडऩे लगती थीं। होश में लाने के लिए उसे इमरजेंसी पिल्स की जरूरत पड़ती थी। लेकिन सर्जरी के बाद उसकी हालत पहले से बेहतर हो गई है।

स्क्रू से फिट किया गया न्यूरोस्टिम्यूलेटर

न्यूरोसर्जन मार्टिन टिस्डल की अगुवाई में टीम ने सर्जरी के दौरान ओरान के स्कल की खाली जगह में स्क्रू से न्यूरोस्टिम्यूलेटर फिट किया। इससे जुड़े दो इलेक्ट्रोड दिमाग तक पहुंचाए गए। सर्जरी के बाद डिवाइस चालू कर दी गई। इसे रिचार्ज किया जा सकता है। दिमाग की असामान्य गतिविधियों के कारण मिर्गी के दौरे पड़ते हैं। यह डिवाइस ऐसी गतिविधियों को नियंत्रित करता है।

आठ घंटे की सर्जरी, हालत पहले से बेहतर

लंदन के ग्रेट ऑरमंड स्ट्रीट अस्पताल में यह सर्जरी परीक्षण के तौर पर की गई। ओरान नॉल्सन इस परीक्षण का हिस्सा बनने वाला दुनिया का पहला मरीज बना गया है। अब उसे दौरे कम आते हैं। वह पसंद के हर काम कर पाता है। वह अटेंशन-डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (आवेगपूर्ण बर्ताव) और ऑटिज्म (संचार में कठिनाई) से भी पीडि़त है, लेकिन उसकी मां मिर्गी को बच्चे की सबसे बड़ी बाधा मानती थी।

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