Cyber crime: सारी दुनिया साइबर अपराधों से दुखी है। विरोध के बावजूद अंतरराष्ट्रीय संधि का मसौदा पारित किया गया है। अब बड़ी बाधा पार हो गई है और इसके लिए सभी देश मिलजुल कर कड़े नियम बनाएंगे।
Cyber crime: बढ़ते साइबर अपराध रोकने के लिए दुनिया के देश एकजुट हो गए हैं अपराध के वैश्विक स्वरूप के कारण सुरक्षा एजेंसियों की बाधा दूर करने के मकसद से संयुक्त राष्ट्र की पहल पर साइबर क्राइम संधि के मसौदे को मंजूरी दे दी गई है।
संधि के प्रारूप में जांच एजेंसियों को नए अधिकार देने और अंतरराष्ट्रीय समन्वय बढ़ाने के प्रस्ताव शामिल हैं। अब इस साइबर अपराध (Cyber crime) मसौदे को तीन महीने बाद होने वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा में पेश किया जाएगा, जहां यह पारित होने की पूरी संभावना है। हालांकि, मानवाधिकार कार्यकर्ता, टेक कंपनियां, अकादमिक संस्थाएं, औद्योगिक संगठन और अन्य हिस्सेदार विरोध कर रहे हैं। उन्हें डर है कि सरकारें इस संधि का बड़े पैमाने पर नागरिकों की निगरानी करने के लिए इस्तेमाल करेंगी।
संयुक्त राष्ट्र साइबर क्राइम सम्मेलन ने दो सप्ताह के विचार-विमर्श के बाद पिछले दिनों साइबर क्राइम संधि का मसौदा सर्वसम्मति से पारित किया। करीब तीन साल से इसके प्रयास किए जा रहे थे। साइबर क्राइम संधि का उद्देश्य साइबर अपराध (Cyber crime) को अधिक कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से रोकना है। खासकर बाल यौन शोषण से संबंधित विजुअल और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मामलों को रोकना इसका मकसद है। ऐसी संधि के अभाव में जांच एजेंसियां अब तक पंगु बनी हुई हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा में 40 सदस्यों के अनुमोदन से इसे लागू किया जा सकेगा। इस संधि की पहल 2017 में रूस ने की थी। अमरीका और यूरोपीय देशों के विरोध के बावजूद संयुक्त राष्ट्र ने मसौदा समिति बनाई थी।
संयुक्त राष्ट्र साइबर अपराध संधि का यह 41 पन्नों का मसौदा कानूनी तौर पर प्रवर्तन एजेंसियों के बीच अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने और साइबर अपराध से निपटने के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचे की कमी वाले देशों को तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए एक विधायी रूपरेखा का प्रस्ताव करता है। इसमें अवैध इंटरसेप्शन, मनी लॉन्ड्रिंग, हैकिंग और ऑनलाइन बाल यौन शोषण सामग्री से निपटने के प्रावधान भी शामिल हैं।
संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (UNODC) के कार्यकारी निदेशक घाडा वैली ने कहा कि इस सम्मेलन में मसौदे को अंतिम रूप दिया जाना एक ऐतिहासिक कदम है, क्योंकि यह 20 वर्षों में पहली बहुपक्षीय अपराध-विरोधी संधि है। साइबर अपराध के विरुद्ध यह पहला संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन ऐसे समय में हुआ है जब साइबरस्पेस में खतरे तेजी से बढ़ रहे हैं।