scriptMP News: पोती ने लगाई दौड़ तो बचाने दौड़ पड़ी 63 साल की दादी, बेटा-बहू के सामने हुआ दर्दनाक हादसा | mp ashok nagar railway track - grandmother and granddaughter died after being hit by a train | Patrika News
अशोकनगर

MP News: पोती ने लगाई दौड़ तो बचाने दौड़ पड़ी 63 साल की दादी, बेटा-बहू के सामने हुआ दर्दनाक हादसा

mp ashok nagar railway track- मध्यप्रदेश के अशोकनगर जिले में हुए इस हादसे ने सभी को रुला दिया…। बेटे और बहू कुछ समझ पाते तब तक उनकी आंखों के सामने दादी और उनकी बेटी की मौत हो गई…।

अशोकनगरMay 17, 2024 / 10:42 am

Manish Gite

accident in ashok nagar railway station
emotional story- मध्यप्रदेश के अशोकनगर हुए इस दर्दनाक हादसे ने सभी का दिल दहला दिया। 11 साल की पोती जब रेलवे पटरी पार करने के लिए दौड़ी और दूसरी तरफ से ट्रेन आ रही थी, यह देख दादी अपनी पोती को बचाने के लिए दौड़ पड़ी। लेकिन, जब तक वो पोती को बचाती, खुद भी ट्रेन की चपेट में आ गई थी। इस घटना में दादी और पोती दोनों की मौत हो गई है। सबसे दर्दनाक यह भी है कि दूसरी तरफ से बेटा और बहू देख रहे थे वे कुछ नहीं कर पाए। अब जिंदगी भर का दर्द उनकी आंखों में समा गया है।
11 साल की पोती ने रेल पटरी पार करने के लिए अचानक दौड़ लगाई, उसे बचाने दादी दौड़ी, लेकिन जब तक वे भाग पाते ट्रेन की चपेट में आ गईं। दादी-पोती की दर्दनाक मौत हो गई। घटना गुरुवार सुबह 11 बजे शहर के बीच एफओबी के नीचे रेलवे लाइन की है। स्वामीजी की बगिया क्षेत्र की सुशीला डाबर (63) हाथ में दर्द के बाद 11 साल की पोती वाणी और बहू के साथ इलाज कराने अस्पताल गई थीं। लौटते समय रेल लाइन के दूसरी तरफ बेटा जितेंद्र आ रहा था। वह पटरी पार कर रही थीं। तभी वाणी ने दौड़ लगा दी, ट्रेन देख सुशीला दौड़ीं, लेकिन दोनों गुना-बीना मेमू ट्रेन (guna bina memu train) की चपेट में आ गईं। दोनों की मौके पर ही मौत हो गई।

बेटा और बहू देखते रह गए

अशोकनगर शहर (ashok nagar city) में रेल पटरी पर हादसों का सिलसिला थम नहीं रहा है। फिर एक हादसे में दादी-पोती की रेल पटरी पर मौत हो गई। रेलवे के सुरक्षाकर्मियों की अनदेखी और वैकल्पिक सुविधाजनक इंतजाम न होने से यहां कई जानें जा चुकी हैं। शहर के स्वामीजी की बगिया क्षेत्र निवासी गोपालकृष्ण डाबर की पत्नी 63 वर्षीय सुशीला डाबर और उनकी 11 साल की पोती वाणी पटरी पार करते समय गुना-बीना मेमू ट्रेन की चपेट में आ गईं। सुशीला का पुत्र जितेंद्र और बहू की आंखों के सामने यह हादसा हो गया। दोनों असहाय से देखते रह गए।

एक ही स्थान पर लगातार हो रहे हादसे

रेल पटरी पर जिले में हर साल करीब 40 से अधिक लोग मौत का शिकार बन रहे हैं। जिनमें करीब 80 फीसदी घटनाएं शहर में होती हैं। वर्ष 2023 में जीआरपी क्षेत्र में ही 13 लोगों की ट्रेन से कटकर मौत हुई, वहीं जिला पुलिस के क्षेत्र में हुए हादसों के आंकड़े अलग हैं। हर माह शहर में रेल पटरी पार करते समय कई लोगों की ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो जाती है। अब बड़ा सवाल यह है कि लगातार बढ़ रहे हादसों के ग्राफ के बावजूद भी आखिर रेल प्रशासन व जिला प्रशासन गंभीरता क्यों नहीं दिखा रहा है और इस पर सुधार के लिए कोई प्रयास क्यों नहीं कि किए जा रहे हैं।

हादसे के बाद नहीं किसी ने नहीं लिया सबक

रेल पटरी पर ट्रेन की चपेट में आने से दो लोगों की दर्दनाक मौत होने के बाद भी लोगों की लापरवाही नहीं रुकी। घटना के तुरंत बाद ही बड़ी संख्या में लोग पटरी पार करते दिखे। कई लोग तो सामान सिर पर रखकर व बच्चों को गोद में लेकर रेल पटरी पार करते नजर आए। सैकड़ों लोगों को पटरी से निकलते देख जीआरपी व आरपीएफ ने लाठी भांजते हुए सख्ती दिखाई तब लोग रुके। लेकिन इसके बाद फिर से बड़ी संख्या में लोग पटरी पार कर एक जगह से दूसरी जगह जाते दिखे। ००

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