चीन ने यह श्वेतपत्र ऐसे समय में जारी किया है, जब पूरी दुनिया से कोरोना को लेकर चीन के खिलाफ आवाजें उठने लगी है और अमरीका समेत कई देश लगातार चीन पर आरोप भी लगाते आ रहे हैं। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ( US President Donald Trump ) ने तो कई बार इसे ‘चीनी वायरस’ तक कहा है।
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हालांकि इससे पहले तक चीन कोरोना के संबंध में किसी भी तरह की जानकारी देने से इनकार करता रहा है। यहां तक कि चीन में कोरोना संक्रमितों और मौत के आंकड़ों को लेकर भी संशय है, जिसके बारे में बीजिंग ने कभी भी स्पष्ट नहीं किया है।
वुहान में आया पहला मामला
कोरोना वायरस की जानकारी दुनिया को देने में देरी करने का आरोप झेल रहे चीन ने रविवार को एक श्वेत पत्र जारी ( China Issue White Paper coronavirus irus ) कर सभी सवालों के जवाब देने की कोशिश की है। इस श्वेतपत्र में चीन ने बताया है कि कोरोना का पहला मामला वुहान शहर में 27 दिसंबर का आया था। हालांकि निमोनिया ( Pneumonia ) और मानव से मानव में इस वायरस के फैलने के बारे में 19 जनवरी को पता चला।
चीन ने बताया है कि जैसे ही उसे इसकी जानकारी मिली तुरंत अंकुश लगाने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी गई थी। चीनी मीडिया में सरकार की ओर से जारी श्वेतपत्र में कोरोना की जानकारी छिपाने और देर से दुनिया को बताने के आरोपों के संबंध में एक लंबी व्याख्या दी गई है।
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आपको बता दें कि अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शुरू से चीन पर ये आरोप लगाते आ रहे हैं कि चीन ने कोरोना की जानकारी दुनिया से छिपाई, जिसके कारण पूरी दुनिया आज भयावाह स्थिति है और जनहानि के साथ आर्थिक संकट का सामना कर रहा है।
19 जनवरी को वायरस के फैलने की हुई पुष्टि
श्वेतपत्र में चीन ने ये बताया है कि कोरोना वायरस के पहले मामले की पहचान वुहान शहर में 27 दिसंबर 2019 को एक अस्पताल में हुई। इसके बाद तुरंत इसे देखने के लिए विशेषज्ञों की मदद ली गई। इसके बाद राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ( NHC ) ने इसकी गंभीरता को देखते हुए एक उच्चस्तरीय विशेषज्ञ टीम गठित की। विशेषज्ञों की टीम ने जांच करने के बाद 19 जनवरी को पहली बार इसकी पुष्टि की और बताया कि यह वायरस मानव से मानव में फैल सकता है।
चीन के अग्रणी श्वसन रोग विशेषज्ञ वांग गुआंगफा ने बताया है कि 19 जनवरी से पहले तक इसका कोई पर्याप्त सबूत नहीं मिला था कि यह वायरस मानव से मानव में फैल सकता है। हालांकि जब इस बात की पुष्टि हो गई कि कोरोना वायरस मानव से मानव में फैल सकता है, तो इसे रोकने के लिए फौरन एहतियाति कदम उठाए गए और कार्रवाई शुरू कर दी गई।
कई देशों ने की चीन पर कार्रवाई करने की मांग
गौरतलब है कि अमरीका समेत कई देशों ने चीन पर कोरोना वायरस की जानकारी छिपाने और दुनिया के सामने देरी से बताने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की है। अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन आदि तमाम देश हैं जो चीन से हार्जाना मांगने को लेकर भी बात कर रहे हैं।
अमरीका ने तो विश्व स्वास्थ्य संगठन ( World Health Organization ) और चीन के बीच मिलीभगत का आरोप लगाकर WHO से नाता ही तोड़ लिया है। साथ ही चीन के खिलाफ कार्रवाई करने की भी चेतावनी दी है। हाल के दिनों में चीन के खिलाफ अमरीका की मोर्चेबंदी से ये साफ नजर भी आ रहा है कि ट्रंप चीन पर नरमी दिखाने के मूड में नहीं हैं। क्योंकि कोरोना वायरस से सबसे अधिक नुकसान अमरीका को झेलना पड़ा है। अभी तक अमरीका में एक लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और यह सिलसिला अभी भी जारी है, जबकि 19 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं।
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इधर ऑस्ट्रेलिया ने कोरोना ( Coronavirus In Australia ) को लेकर चीन के खिलाफ आवाज उठाई तो दोनों देशों के बीच व्यापर से लेकर क्षेत्रीय मुद्दों सहित कई तरह के तनाव देखने को मिल रहा है। हालांकि अब जब चीन ने श्वेतपत्र जारी कर ये बताने की कोशिश की है कि उसने कोरोना वायरस के संबंध में दुनिया को धोखे में रखने की कोई साजिश नहीं की है। फिलहाल पूरी दुनिया में कोरोना से हो रही मौतों और फैलते संक्रमण के बीच चीन के खिलाफ रोष बढ़ता ही जा रहा है। कई देश मिलकर चीन की घेराबंदी करने के लिए साथ आ रहे हैं और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।