पूर्वी लद्दाख में जारी तनाव के लिए चीन ने भारत को दोषी ठहराया है। चीनी विदेश मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान में कहा कि भारतीय सेना ने खुद ये स्वीकार किया है कि उन्होंने चीनी सेना की गतिविधियों से पहले कार्रवाई की। ये बयान अपने आप में यह साबित करता है कि भारत ने ही उकसावे वाली कार्रवाई करते हुए सीमा पार की है।
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इतना ही नहीं, कभी भी LAC को न मानने वाले चीन ने उल्टा पहले एकतरफा वस्तुस्थिति को बदलने और दोनों देशों की बीच बनी महत्वपूर्ण सहमति के उल्लंघन का भी आरोप भारत पर लगा दिया। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस साल की शुरुआत से ही भारतीय पक्ष लगातार द्विपक्षीय समझौते और भारत-चीन सीमा पर वेस्टर्न सेक्शन को लेकर बनी महत्वपूर्ण सहमतियों का उल्लंघन कर रहा है। चीन ने बिना किसी तथ्य के आधारहीन आरोप लगाते हुए कहा कि भारत ने सीमाई इलाकों में शांति और स्थिरता को कमजोर किया है। यही कारण है कि सीमा पर तनाव के हालात हैं।
सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति को रोकना भारत की जिम्मेदारी: चीन
बुधवार को मीडिया ब्रीफिंग के दौरान चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि सीमा पर तनावपूर्ण हालात बनाने के लिए भारत जिम्मेदार है और अब स्थिति को रोकने की पूरी जिम्मेदारी भी भारत की है। उन्होंने कहा कि चीन की तरफ से तनावपूर्ण स्थिति को रोकने के लिए संयम बरता जा रहा है। हुआ ने आगे कहा कि दोनों पक्ष सैन्य और कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से बातचीत जारी रखे हुए हैं।
मालूम हो कि गलवान घाटी में बीते 15 जून की घटना के बाद चीनी सैनिकों ने एक बार फिर से भारतीय सैनिकों पर धोखे से हमला करने और घुसपैठ करने की साजिश की थी। बीते 29-30 अगस्त की रात को करीब500 की संख्या में चीनी सैनिकों ने पैंगोंग त्सो में घुसपैठ की कोशिश की थी।
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लेकिन, भारतीय जवानों ने समय रहते हुए सक्रियता दिखाकर फौरन कार्रवाई की और चीनी सैनिकों को की घुसपैठ को नाकाम करते हुए वहां से खदेड़ दिया। इसके बाद अगले दिन 31 अगस्त की रात फिर से चीनी सेना की तरफ से उकसावेपूर्ण कार्रवाई की गई। इस पर भारत ने साफ तौर पर कहा कि वह चीन के साथ सीमा विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से हल करना चाहता है।
दोनों देशों के कमांडर स्तर के सैन्य अधिकारी लगातार वार्ता कर रहे हैं। फिलहाल इसको लेकर अभी कोई परिणाम सामने नहीं आया है। लेकिन सीमा पर तनावपूर्ण हालात बरकरार है और चीन ने पीछे हटने से इनकार कर दिया है।