वैदिक ज्योतिष पंचांग विक्रम संवत के आधार पर निर्धारित किया जाता है, यह चंद्रमा की चाल पर निर्भर है। इसमें ग्रेगोरियन कैलेंडर की तुलना में कम दिन होते हैं। हिंदू कैलेंडर में 354 दिन का ही साल होता है। इसके अलावा भारत में सौर कैलेंडर भी प्रचलित थे, 365 दिन की सूर्य परिक्रमा पर आधारित थे। इसमें दोनों की विसंगति को दूर करने के लिए तीसरे साल अधिक मास जोड़ दिया जाता है जिससे फिर यह संतुलित होता है। यह महीना जप तप का महीना माना जाता है और इसे पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं।
प्राचीनकाल में दुनिया भर की अलग-अलग संस्कृतियों में काल गणना के लिए अलग-अलग आधार अपनाए गए थे। यहां कुछ कैलेंडर सूर्य आधारित थे तो कुछ चंद्रमा आधारित थे, जिनके वर्ष के दिनों में अंतर था। इसे पाटने के लिए एक सूर्य और चंद्रमा की जटिल गतिविधियों को समेटने के लिए कैलेंडर तैयार किया गया । इसी कड़ी में लीप ईयर की अवधारणा भी आई, ताकि खगोलीय घटनाएं सही समय पर घटित हों।
कई देशों में बहुत सारे लोग 29 फरवरी को अशुभ दिन मानते हैं, लेकिन ज्योतिषी ऐसा नहीं मानते हैं। अंक शास्त्रियों का मानना है कि 29 फरवरी को पैदा होने वाले बच्चे बहुत पराक्रमी और कड़ा परिश्रम करने वाले होते हैं। इस दिन जन्मे बच्चे विलक्षण प्रतिभा वाले होते हैं, ये बच्चे बेहद साहसी और पराक्रम की दृष्टि से अद्भुत होते हैं और दुनिया में बहुत नाम कमाते हैं, वो खूब धन अर्जित करते हैं।
अंक ज्योतिष के अनुसार 29 तारीख वालों का मूलांक 2 होता है। इस संख्या का संबंध जागृति और आध्यात्मिक ज्ञान से है। 29 नंबर का, फरवरी (दो) के साथ एक असामान्य संयोजन बनता है और यह अनुभव करने के लिए एक दुर्लभ ऊर्जा है। ज्योतिषियों का मानना है कि यह संख्या अपने साथ एक स्त्री ऊर्जा रखती है जो विचारों को वास्तविक दुनिया में मूर्त रूप देने में सहायता करने में सक्षम होती है। जब 11 (29) और दो (फरवरी) मिलते हैं, तो उनकी संबंधित ऊर्जाएं प्यार, उपचार और शिक्षण के लिए एक शक्तिशाली समय बना सकती हैं। माना जाता है कि ये दो अंक आध्यात्मिक प्रकाश दूत के आगमन का प्रतिनिधित्व करते हैं और जो लोग खुले और जागरूक हैं उन्हें प्रगति के लिए कुछ मार्गदर्शन प्राप्त हो सकता है। एक लीप डे लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त समय प्रदान करता है।
यह दिन 4 साल में एक बार आता है, इसलिए 29 फरवरी को जन्मे, विवाह करने वाले लोग अपनी वर्षगांठ 4 साल में बार सेलिब्रेट कर पाते हैं। हालांकि बहुत सारे लोग 28 फरवरी को ही सेलिब्रेशन कर लेते हैं.
फरवरी में लीप ईयर के पीछे भी एक वजह है। दरअसल इटली में जूलियन कैलेंडर (Julian Calendar) प्रचलित था, जो रोमन सौर कैलेंडर है। जूलियन कैलेंडर का पहला महीना मार्च और आखिरी महीना फरवरी होता था, जिसकी वजह से फरवरी माह में लीप डे (अतिरिक्त दिन) को जोड़ा गया। फिर जब जूलियन कैलेंडर की जगह ग्रेगोरियन कैलेंडर ने ले ली तो पहला महीना जनवरी हो गया और फरवरी दूसरा। इसके बावजूद भी अतिरिक्त दिन को फरवरी में ही जोड़ा गया, इसके पीछे वजह ये भी थी कि फरवरी का महीना पहले से ही सबसे छोटा होता है।
1. आयरलैंड और ब्रिटेन की परंपरा के अनुसार महिलाएं केवल लीप वर्ष में ही शादी का प्रस्ताव रख सकती हैं। यह दावा किया जाता है कि इस परंपरा की शुरुआत 5वीं सदी के आयरलैंड में सेंट पैट्रिक या किल्डारे के ब्रिगिड द्वारा की गई थी।
2. फिनलैंड की परंपरा के अनुसार यदि कोई पुरुष लीप डे पर किसी महिला के प्रस्ताव को अस्वीकार कर देता है, तो उसे स्कर्ट के लिए कपड़े खरीदने पड़ेंगे।
3. फ़्रांस में 1980 से ला बाउगी डु सपेउर नामक व्यंग्यात्मक समाचार पत्र केवल लीप वर्ष में 29 फरवरी को प्रकाशित होता है।
4. ग्रीस में लीप ईयर में शादी को अशुभ माना जाता है। ग्रीस में सगाई करने वाले पांच जोड़ों में से एक लीप वर्ष में शादी करने से बचने की योजना बनाता है।
5. अक्सर 29 फरवरी को पैदा होने वाले लोगों को लीपिंग अथवा लीपर कहा जाता है। इटली में लोगों का मानना है कि लीप ईयर में महिलाएं बुरा व्यवहार करती हैं।