
एक व्यक्ति के मन में तरह-तरह के सवाल उठते थे। सवालों के समाधान के लिए वह संतों के चक्कर लगाया करता। हालांकि, वह खुद भी बेहद समझदार था लेकिन अपने प्रश्नों के उत्तर उसे दूसरों से प्राप्त करने में ज्यादा रुचि थी।
एक दिन एक प्रसिद्ध महात्मा उसके शहर में आए। वह महात्मा के पास पंहुच गया और उनसे प्रार्थना की कि वो कुछ उपदेश और प्रवचन दें।
महात्मा ने उसे गौर से देखा और कहा कि मेरा उपदेश यह है कि आज के बाद किसी से कोई उपदेश मत मांगना। यह सुनकर वह व्यक्ति सोच में पड़ गया।
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तब महात्मा ने प्रश्न किया- अच्छा एक बात बताओ कि सच बोलना अच्छा है या बुरा?
उस व्यक्ति ने जवाब दिया- अच्छा।
महात्मा ने फिर उससे पूछा- चोरी करना ठीक है या गलत?
उस जिज्ञासु व्यक्ति ने जवाब दिया- गलत।
महात्मा ने दोबारा प्रश्न किया- बताओ समय का सदुपयोग करना चाहिए या नहीं?
उस व्यक्ति ने जवाब दिया- हां करना चाहिए। इस प्रकार उस महात्मा ने कई प्रश्न उससे किए और सभी का उसने सही जवाब दिया। इस पर महात्मा ने उसे कहा कि तुम सब जानते हो, तुम्हें सभी गुणों का ज्ञान है परन्तु अज्ञानता यह है तुम उन्हें असली जीवन में ग्रहण नहीं करते।
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जो ज्ञान तुम्हारे पास है उसे जीवन में अमल करो, गुणों का ज्ञान मात्र होने से काम नहीं चलता। उन पर अमल करो, इसी में तुम्हारी भलाई है, उपदेश सुनने में नहीं। उसे समझ आ गया कि जब तक वह अंदर की आवाज नहीं सुनेगा, तब तक यूं ही भटकता रहेगा।
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Published on:
26 Nov 2015 01:47 pm
