
Akhilesh yadav
आजमगढ़। वर्ष 2014 में केंद्र की सत्ता में आने के बाद जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसद आर्दश गांव योजना की शुरूआत की तो ऐसा लगा कि अब तो हर संसदीय क्षेत्र में कम से कम एक गांव का कायाकल्प हो जाएगा, लेकिन यह योजना अब दम तोड़ती नजर आ रही है। कम से कम सपा व बसपा का गढ़ कहे जाने वाले आजमगढ़ जिले में, जहां लोकसभा चुनाव के दस माह बाद भी किसी सांसद ने अब तक गांव गोद ही नहीं लिया है। गांव गोद लेने के लिए डीएम ने सांसदों को पत्र भी लिखा, लेकिन उसका कोई जवाब नहीं आया। अब प्रशासन भी मान रहा है कि किसी भी सांसद की इस योजना में रूचि नहीं है। सांसदों की यह अनदेखी लोगों को खल रही है। खासतौर पर अखिलेश यादव का किसी गांव को गोद न लेना लोगों के लिए किसी आघात से कम नहीं है। यह बात अलग है कि वह हमेशा से आजमगढ़ को अपना घर कहते रहे हैं।
बता दें कि वर्ष 2014 के चुनाव में आजमगढ़ संसदीय सीट से मुलायम सिंह यादव व लालगंज संसदीय सीट से बीजेपी की नीलम सोनकर सांसद चुनी गयी थी। मुलामय सिंह यादव ने तमौली तथा नीलम ने लोहरा गांव को गोद लिया था। उक्त गांवों का विकास अपेक्षा के अनुरूप भले ही न हुआ हो, लेकिन लोगों को कुछ अच्छी योजनाओं का लाभ जरूर मिला।
नहीं लिया कोई गांव गोद-
2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन के बाद बीजेपी का सूपड़ा साफ हो गया। आजमगढ़ संसदीय सीट से सपा मुखिया अखिलेश यादव तथा लालगंज सीट से बसपा की संगीता आजाद ने जीत हासिल की। वहीं यहां से बसपा के ही राजाराम पहले से राज्यसभा सदस्य हैं। अखिलेश यादव व संगीता आजाद को सांसद बने दस माह हो चुके हैं, लेकिन अब तक किसी ने भी गांव को गोद नहीं लिया। राजाराम ने भी कोई गांव गोद नहीं लिया। राजनीतिक हल्के में चर्चा है कि चूंकि योजना केंद्र सरकार की है इसलिए विरोधी दल के सांसद इसमें रूचि नहीं ले रहे हैं, लेकिन इसका सीधा नुकसान यहां की जनता का हो रहा रहा है।
चुनाव के दौरान ही लौटेंगे सांसद-
सांसद गांव गोद लें, इसके लिए जिलाधिकारी ने सितंबर 2019 में तीनों ही सांसदों को पत्र लिखा और बताया कि वे गांव का चयन कर सूचित करें, ताकि उक्त गांवों में विकास कार्य शुरू किये जा सके, लेकिन आज तक कोई जवाब नहीं आया। अब एक बार फिर प्रशासन रिमाइंडर भेजने की तैयारी में है। परियोजना निदेशक का कहना है कि अभी सांसदों की तरफ से गांव चयन के संबंध में कोई सूचना नहीं मिली है। वह जैसे ही गांव का चयन करेंगे। उस गांव का प्राथमिकता के आधार पर विकास किया जाएगा। वहीं सपा और बसपा के लोग इसपर कोई भी बात करने के लिए तैयार नहीं है। बीजेपी इसे लेकर हमलावर जरूर दिख रही है। पार्टी के जिला उपाध्यक्ष ब्रजेश यादव का कहना है कि अखिलेश यादव हो या बसपा सांसद संगीता आजाद व राजाराम इन्हें जनता के हित से कोई लेना देना नहीं है। अब यह जनता के बीच पांच साल बाद तब लौटेंगे जब चुनाव होगा। यहां की जनता जान गयी है कि काम बोलता है के नारे में कितना दम और उनके सांसद की कथनी और करनी में कितना फर्क।
इसलिए नहीं दिखाते रुचि-
विभागीय सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री ने सांसदों को गांव गोद लेकर उनका विकास करने का निर्देश जारी कर दिया, लेकिन इसके लिए अलग से फंड की कोई व्यवस्था नहीं की। इसलिए जब भी किसी गांव को सांसद द्वारा गोद लिया जाता है, तो विभिन्न विभागों में संचालित योजनाओं को उस गांव में पहुंचाया जाता है। इन गांवों को गोद लेने वाले सांसद भी अपनी निधि से विकास के कार्य संपादित करा सकते हैं। चूंकि सांसद अपने निधि का धन अपने हिसाब से खर्च करना चाहते हैं और उन्हें लगता है कि सरकार को इस योजना के लिए अलग से धन आवंटित करना चाहिए इसलिए गांव गोंद लेने में रूचि नहीं दिखाते हैं।
Published on:
04 Mar 2020 08:35 pm
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