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आजमगढ़

यूपी पंचायत चुनाव में दबंग प्रत्याशियों ने अपनाई खास रणनीति जो विपक्षियों पर पड़ी भारी

-कई गांवों में प्रत्याशी नही बीएलओ लड़े चुनाव, विरोधियों का लीस्ट से गायब कर दिया नाम
-मतदाता सूची से नाम गायब होने से दिखा भारी गुस्सा, एक एक गांव में सौ-सौ मतदाता का नाम रहा गायब
-आपसी विरोध बन रहा वैमस्यता का कारण, हो रहे है आपसी विवाद

आजमगढ़Apr 20, 2021 / 03:24 pm

रफतउद्दीन फरीद

मतदान करने जाती बुजुर्ग

मतदान करने जाती बुजुर्ग

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
आजमगढ़. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में राजनीतिक दलों व दबंगों का हस्तक्षेप साफ नजर आया। चुनाव में साम, दाम, दंड भेद की रणनीति तो अपनाई ही गयी लेकिन जो तरकीब समसे कामियाब रही है वह है विरोधियों को मतदान से वंचित करना। जिले में हजारों मतदाता मतदान ही नहीं कर पाए। कारण कि प्रभावशाली प्रत्याशियों ने बीएलओ की मिलीभगत से विरोधियों का नाम ही सूची से गायब करवा दिया था।

बता दें कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के तहत जिले में प्रधान की 1858, क्षेत्र पंचायत सदस्य के 2104, जिला पंचायत सदस्य के 84 तथा ग्राम पंचायत सदस्य के 22820 पदों के लिए मतदान सपन्न हो चुका है। यहां कुल 26,866 पदों के लिए 29,235 प्रत्याशी मैदान में है। 37,20,084 मतदाताओं ने प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला कर दिया है। मतगणना दो मई को होनी है।

पहली बार पंचायत चुनाव में सभी राजनीतिक दलों के उतरने से चुनाव काफी दिलचस्प रहा। चुनाव में जहां पैसा पानी की तरह बहाया गया तो साम, दाम, दंड, भेद का प्रयोग हुआ। एक स्थान पर मतदाताओं को रोकने के लिए हवाई फायरिंग हुई तो, मेंहनगर में पुलिस पर हमला किया गया। वहीं लालगंज में मतपेटी में पानी डाला गया। यह दर्शाता है कि गांव की सत्ता हासिल करने के लिए दावेदार किसी भी स्तर तक जाने के लिए तैयार थे।

इस चुनाव में जो सबसे खास रणनीति रही वह विपक्षियों को मतदान से रोकना। मजबूत प्रत्याशी जिसे अपना वोटर नहीं मानते थे उसका नाम ही मतदाता सूची से गायब करवा दिये। चुनाव के पहले ही मतदाता सूची से नाम गायब होने को लेकर जिला मुख्यालय पर कई बार विरोध प्रदर्शन हुआ लेकिन प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया। सोमवार को जब मतदान हुआ तो लापरवाही खुलकर सामने आ गयी।

सिकरौर गांव में करीब 125 मतदाताओं का नाम सूची से गायब रहा। इसी तरह पवई, फूलपुर, असई, फरिहा, कौड़िया सहित सौ से अधिक गांवों में इस तरह की शिकायत सामने आयी। इसके लिए लोग बीएलओ को जिम्मेदार मान रहे थे। दावा था कि प्रभावशाली प्रत्याशियों ने अपने विरोधी मतदाताओं का नाम बीएलओ से मिलकर गायब करा दिया।

BY Ran vijay singh

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