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आजमगढ़

नदियों की धाराओं को रोकने वाले हैं असुरः गांगेय हंस

विश्व नदी दिवस के अवसर पर हमारी नदियां, हमारी संस्कृति विषयक ई गोष्ठी का हुआ आयोजन

आजमगढ़Sep 26, 2021 / 07:02 pm

Ranvijay Singh

गोष्ठी में शामिल लोग

गोष्ठी में शामिल लोग

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
आजमगढ़. लोक दायित्व एवं मूल सरयू बचाओ अभियान के संयुक्त तत्वावधान में विश्व नदी दिवस के अवसर पर हमारी नदियां हमारी संस्कृति विषयक ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें नदियों की धाराओं को रोकने वालों को असुर करार दिया गया।

मुख्य वक्ता गंगा पुराण के रचनाकार राष्ट्रसंत राजर्षि गांगेय हंस विश्वामित्र ने कहा कि नदियों की धाराओं को रोकने वाले असुर हैं। नदियों को आज अपनी जरूरतों के कारण हमने नहर बना दिया है। नदी का निर्मलीकरण तभी होगा जब उसका प्रवाह निरंतर जारी रहे। उन्होंने कहा कि गंगा का निर्मलीकरण घाटों को चमकाने से नहीं हो सकता उसकी धारा और जल को शुद्ध करना होगा। नदियों के मरने से हमारी संस्कृति, सभ्यता मरती है। नदियों के संरक्षण के लिए जनचेतना बहुत जरूरी है।

दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार मंजीत ठाकुर ने कहा कि गंगा के बहाव में स्थाई रूप से 38 सेमी. की कमी हुई है। नदियां मौत की तरफ बढ़ रही हैं। इसके पीछे हमारी लालच है। ट्यूबवेल क्रांति ने धरती के गर्भ से इतना पानी खींचा कि उसका प्रभाव जलस्तर और नदियों के प्रवाह पर भी पड़ा। यही पानी जब रसायनिक उर्वरकों के साथ फिर से नदी, तालाबों और गड्ढों में पहुंचा तो जलकुंभी जैसी विकराल समस्या उत्पन्न हुई। नदी निर्मल तब होगी जब अविरल होगी और यह अविरल तब होगी जब जल प्रवाह बना रहे। बांधो ने नदी के मुक्त प्रवाह को रोका है।

नेपाल से जुड़े कमला बचाओ आंदोलन के संयोजक विक्रम यादव ने कहा कि कमला और सरयू में विशेष समानता है। कमला नेपाल से होते हुए भारत में प्रवाहित होती है। श्री यादव ने कमला बचाओ अभियान के अपने अनुभवों को साझा किया। कार्यक्रम का संचालन मूल सरयू बचाओ अभियान के संयोजक पवन कुमार सिंह ने किया। पवन ने बताया कि विश्व नदी दिवस सितंबर माह के अंतिम रविवार को मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य नदियों में बढ़ रहे जल प्रदूषण को कम करना है। इस वर्ष नदी दिवस का थीम सभी नदियों के लिए कार्रवाई का दिन है।

आभार डॉ. संजय गौतम ने व्यक्त किया। इस अवसर पर डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर, अजय श्रीवास्तव, पंकज कुमार, गौरव रघुवंशी, अजय राय, हीरेन जी, गणेश पाठक, उत्कर्ष, अवधेश, उत्कर्ष, वीरेंद्र मौर्य आदि उपस्थित रहे।

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