बलिया. कहते हैँ कि सावन में भगवान शंकर की पूजा से हर मनोकामना पूर्ण होती है। हर कष्ट दूर होता है। ऐसा ही एक धाम बालेश्वर नाथ बाबा का उत्तर प्रदेश के बलिया में है। जिसकी पूजा अर्चना से हर मनोकामना पूर्ण होती है। हर कष्ट अपने आप दूर हो जाता हैं। यहां सावन में बहुत दूर-दूर लोग दर्शन करने आते हैं।
सोमवारी के दिन मेला यहाँ मेला भी लगता है। हालांकि श्रुति प्रमाणों के अनुसार इस शिवालय की स्थापना असुरेन्द्र दानवीर राजा बलि ने की था। जो कालान्तर में गंगानदी की बाढ़ में बह गया था। वर्तमान बालेश्वरनाथ मंदिर में स्थापित लिंग विग्रह 1875 ई० में गंगा नदी के दियारे में स्व० लक्ष्मी चौधरी के खेत में मिला था।
कुछ समय तक यह लिंग वही पर ताजपुर मौजे में पूजित होता रहा। 1902 ई० में जब गंगा की बाढ में कटान यहाँ तक पहुंच गई तो भक्त शंकर जी को वर्तमान रामाशीष चौक बालेश्वरघाट पर लाकर स्थापित करके पूजा करने लगे। सन् 1918-19 में जब बाढ़ ने यहाँ भी कहर ढाना शुरू कर दिया, तब सिकंदरपुर इलाके के रामापार निवासी जमींदार बाबू रामयश कुशवाहा ने मंदिर बनाने के लिए पांच बीघा जमीन दान में दिया। जिसपर मनियर के सम्पन्न वैश्य लच्छू – बिल्लर भगत ने मिर्जापुर के लाल पत्थरों से भव्य मंदिर बनवाया। यह मंदिर आज बलिया में सबसे बडा आस्था का केन्द्र है। हर गरीब और मिर सभी लोग दर्शन के लिए बाबा बालेश्वर के दरबार में पहुँच कर मनोकामना के लिए और प्राथना करते हैं। ये मन्दिर शहर के बीचो-बीच मौजूद हैं।