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Breaking : छत्तीसगढ़ के इस जलाशय में ऐसे कीड़े हैं जो मछलियों का भी खून चूस लेते हैं

तीन जिले की जीवनदायिनी व प्रदेश का तीसरा सबसे बड़ा जलाशय तांदुला में एक विशेष प्रकार का कीड़ा पाया गया है, जो मछलियों को बढऩे नहीं देता।

बालोदJan 25, 2018 / 01:47 pm

Satya Narayan Shukla

Fisheries in Tadula Reservoir

सतीश रजक/बालोद . तीन जिले की जीवनदायिनी व प्रदेश का तीसरा सबसे बड़ा जलाशय तांदुला में एक विशेष प्रकार का कीड़ा पाया गया है, जो मछलियों को बढऩे नहीं देता। कीड़े गलफड़े में चिपककर मछलियों का खून चूस लेते हैं जिससे मछलियों की मौत हो जाती है। इसका कारण मत्स्य विभाग भी बता नहीं पा रहा है कि आखिर यह कौन सा कीड़ा है। चुनौती ये भी है कि इतने बड़े जलाशय में इन कीड़ों को मारने के लिए ट्रीटमेंट भी नहीं किया जा सकता।

नहीं किया जा सकता केज सिस्टम से मछली पालन
मत्स्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक यह कीड़ा खुले जलाशय में तो मछलियों को कुछ नहीं करता, अगर केज सिस्टम से मछली पालन करें, तो कीड़े मछलियों का खून चूस कर मार देता है। ऐसे में दावा किया जा रहा है कि तांदुला जलाशय में केज सिस्टम से मछली पालन नहीं किया जा सकता।

ऐसे हुआ मछली में संक्रमण का खुलासा
मत्स्य विभाग के मत्स्य निरीक्षक शलीम खान ने बताया 2009 में मछली विभाग संचालक द्वारा तांदुला जलाशय में फीस केज सिस्टम से मछली पालने की योजना बनाई थी, जिसके तहत तांदुला जलाशय में मछली पालन के लिए 16 केज बनाए गए थे। इस केज में लगभग 5 क्विंटल मेजर कार्प की बीज डाली गई थी। बीज डालने के दो दिन बाद मछलियां मरने लगीं। लगभग 2 क्विंटल मछली मर गईं। जब विभाग ने देखा कि आखिर क्यों मछली मर रही हैं तब केज से मरी मछलियों को निकाल कर उसका ट्रीटमेंट किया गया, तो पाया मछली के गलफड़े में कीड़ा है जिससे मछली को स्वांस लेने में दिक्कत हो रही है, जिससे मछलियां मर रहीं हैं।

मछलियों के गलफड़े में बैठ कीड़े चूस लेते हैं खून
मछली विभाग ने जब इन मछलियों का सेंपल रायपुर अनुसंधान केंद्र ले जाया गया तो शोध में पाया गया कि मछली के गलफड़े में कुछ कीड़े थे, ये कीड़े सभी मछलियों में थे, जो मछलियो का खून चूस रहे थे। इस घटना के बाद से फीस केज को निकाल दिया गया। पर अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक भी पता नहीं लगा पाए कि आखिर ये कीड़ा है क्या? पर मत्स्य विभाग यह भी मान रहा है कि आज भी तांदुला जलाशय में यह कीड़ा भारी मात्रा में है।

जलाशय बड़ा इस वजह से नहीं हो सकता कीड़ों का ट्रीटमेंट
मत्स्य निरीक्षक सलीम खान ने बताया इस कीड़े को मार भी नहीं सकते, क्योंकि तांदुला जलाशय बहुत बड़ा है। दवाई से ट्रीटमेंट भी नहीं किया जा सकता है। अगर अब भी फीस केज से मछली पालन करें तो यह किट मछलियों को मार देगा। मछलियां खुले जलाशय में रहते हैं तो इन कीड़ों का प्रकोप नहीं होता। पर जब मछलियों को केज में रखा जाता है तो कीड़ा केज के अंदर मछलियों पर संक्रमण कर देते हैं। मत्स्य विभाग की मानें तो जब से ये घटना हुई है तब से आज तक तांदुला जलाशय में फीस केज सिस्टम से मछली पालन नहीं किया गया।

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