हर साल दो लाख से ज्यादा नए मामले
वरिष्ठ गुर्दा रोग विशेषज्ञ Dr. Sanjeev Kumar Hiremath ने पत्रिका से विशेष बातचीत में कहा कि जागरूकता की कमी सहित लक्षणों के अभाव के कारण भारत में सीकेडी का निदान अक्सर देर से होता है। गुर्दे की विफलता का बोझ भी बढ़ रहा है। हर साल लगभग 2,10,000 नए मामले सामने आते हैं। भारत में 10 लाख की आबादी पर करीब 800 लोग सीकेडी का शिकार होते हैं। एंड स्टेज रीनल डिजीज (इएसआरडी) के मामले में प्रति 10 लाख की आबादी पर 150-200 लोग चपेट में आते हैं। हर साल लगभग 1.3 मिलियन लोग गुर्दे की बीमारी से मरते हैं।
गुर्दाजनित हृदय की बीमारियों से सालाना 1.4 मिलियन मौतें
इसके अलावा 1.4 मिलियन अतिरिक्त मौतें HEART की बीमारियों से होती हैं, जिसका कारण गुर्दे की कार्यप्रणाली में खराबी होती है। उपचार न किए जाने पर, सीकेडी स्टेज 1 से स्टेज 5 तक बढ़ता है। स्टेज 5 को एंड-स्टेज रीनल डिजीज (ईएसआरडी) के रूप में भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है कि जीवित रहने के लिए नियमित dialysis or kidney प्रत्यारोपण।
टीबी और एचआईवी की तरह हो मरीज केंद्रित दृष्टिकोण
डॉ. हिरेमठ के अनुसार अपर्याप्त देखभाल, गुर्दा रोग विशेषज्ञों की कमी, चिकित्सा तक समान पहुंच में बाधाएं और गुर्दे की बीमारी को रोकने के लिए विशिष्ट सरकारी नीतियों की कमी कुछ प्रमुख चुनौतियां हैं। इन बाधाओं को दूर करने के लिए स्वास्थ्य देखभाल वितरण प्रणाली व स्वास्थ्य देखभाल नीतियों में बदलाव होना चाहिए। Tb and HIV की तरह व्यापक रोग और मरीज केंद्रित दृष्टिकोण होना चाहिए।
31 फीसदी की दर से बढ़ रहा डायलिसिस बाजार
डायलिसिस महत्वपूर्ण है और इस विशाल देश के सुदूर और दुर्गम हिस्सों में रहने वाले सबसे कमजोर लोगों के लिए भी उच्च गुणवत्ता वाली dialysis सुविधाएं बेहद जरूरी हैं। अनुमान है कि भारतीय डायलिसिस बाजार प्रति वर्ष लगभग 31 फीसदी की दर से बढ़ रहा है, जबकि शेष विश्व में यह फीसदी है। India में हर साल एंड स्टेज रीनल डिजीज के लगभग 2.2 लाख नए मरीज जुड़ते हैं, जिसके परिणामस्वरूप हर साल 3.4 करोड़ डायलिसिस की अतिरिक्त मांग होती है। देश में हर साल 6,500 से भी कम गुर्दा प्रत्यारोपण हो पाते हैं।
बढ़ते मरीज संसाधनों पर भारी
डॉ. हिरेमठ ने कहा, भारत के कई राज्यों में अच्छे डायलिसिस केंद्र हैं। भारत सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से डायलिसिस सुविधा प्रदान कर रही है, लेकिन मरीजों की बढ़ती संख्या संसाधनों पर भारी पड़ती है। गुणवत्ता से समझौता हो जाता है। मजदूर मरीज डायलिसिस के दिन अपनी दैनिक मजदूरी को छोडऩे का जोखिम नहीं उठा पाते हैं और नियमित रूप से डायलिसिस नहीं कराते हैं।
राजकीय सम्मान सराहनीय कदम
उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मूत्र पथ में संक्रमण, गुर्दे की पथरी और दर्द निवारक दवाएं लेने का एक लंबा इतिहास गुर्दे की बीमारी के सबसे आम कारण हैं। जागरूकता पैदा करने के लिए स्कूलों और कॉलेजों में गुर्दा रोग के महत्व के बारे में पढ़ाया जाना चाहिए। डायलिसिस सेंटर तक जाने के लिए मुफ्त बस और ट्रेन पास देने की सरकार की नीति अधिक उपयोगी है। गुर्दा दानकर्ता के राजकीय सम्मान सराहनीय कदम है।
साइलेंट किलर
उच्च रक्तचाप, मतली और उल्टी, भूख में कमी, मुंह में धातु जैसा स्वाद, थकान, कमजोरी, सोचने में परेशानी, नींद की समस्या, मांसपेशियों में मरोड़ और ऐंठन, आपके पैरों और टखनों में सूजन, दूर न होने वाली खुजली, सीने में दर्द , हृदय की परत के आसपास व फेफड़ों में तरल पदार्थ का जमना सहित सांस लेने में दिक्कत गुर्दा रोग के लक्षण हो सकते हैं। अधिकांश मामलों में गुर्दे के 90 प्रतिशत क्षतिग्रस्त होने के बाद प्रमुख लक्षण सामने आते हैं। इसलिए इसे silent killer भी कहा जाता है।