एनइसीएफ के महासचिव शशिधर शेट्टी ने बताया कि संगठन ने पहले Covid -19 महामारी के दौरान इसी तरह के प्रयास किए थे और अब इन परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने के लिए कमर कस रहा है। एनइसीएफ अतीत में तीन ऐसे तालाबों का सफलतापूर्वक निर्माण कर चुका है। प्रत्येक परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 10,000 रुपए थी। शेट्टी ने सुपारी वृक्षारोपण के साथ साझा जल स्रोतों का हवाला देते हुए सामुदायिक भागीदारी के महत्व पर जोर दिया है।
वर्तमान में, शेट्टी और उनकी टीम नए तालाबों के लिए संभावित स्थलों की तलाश कर रही है। हालांकि, जंगलों से सटे क्षेत्रों में निर्माण के साथ आगे बढऩे से पहले वन विभाग से मंजूरी जरूरी है।
सामुदायिक समर्थन पर जोर देते हुए, शेट्टी ने सूक्ष्म पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में इन कृत्रिम तालाबों के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि ऐसे तालाब जैव विविधता संरक्षण में योगदान करते हैं। वन्यजीवों को भी राहत मिलेगी।
उन्होंने कहा कि ये तालाब विभिन्न प्रजातियों के लिए प्रजनन स्थल के रूप में काम करते हैं, पारिस्थितिक सद्भाव को बढ़ावा देते हैं और जंगल में रहने वाले जानवरों की भलाई में योगदान करते हैं। एनइसीएफ की पहल का उद्देश्य पश्चिमी घाट के आसपास के परिदृश्य में पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देते हुए water की कमी को कम करना है।